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Rajasthan Temple: राजस्थान के झुंझुनूं जिले में स्थित लक्ष्मीनाथ मन्दिर अपने जल संरक्षण के लिए जाना जाता है। इस मंदिर में बारिश के पानी को कुंड में एकत्रित किया जाता है और इसके बाद भगवान के स्नान से लेकर संध्या आरती तक सभी में इस पानी का इस्तेमाल होता है।

Rajasthan Temple: राजस्थान के झुंझुनूं जिले में स्थित लक्ष्मीनाथ मन्दिर को जल संरक्षण का अनोखा उदाहरण माना जाता है। लगभग 106 साल से इस मंदिर में बारिश का पानी इकट्ठा किया जा रहा है। इस पानी को बाद में धार्मिक आयोजनों और पूजा पाठ में इस्तेमाल किया जाता है। खास बात यह है कि इस पानी से भगवान का अभिषेक कर भोग भी लगाया जाता है। मंदिर में भगवान के स्नान से लेकर संध्या आरती तक सभी में इस पानी का इस्तेमाल होता है। शेखावाटी क्षेत्र की सूखी भूमि पर पानी का कमी होना एक आम बात थी, लेकिन सदियों से चलती आ रही इस मंदिर में जल संचयन की पारंपरिक तकनीकों को आज भी जीवित रखा है।
 
1972 में रखी गई थी नींव
मंदिर के इतिहास की बात करें तो इसे विक्रम संवत ने साल 1972 में बनवाया था। 4 साल में इस मंदिर का निर्माण कार्य पूरा किया गया था। इस मंदिर में भगवान लक्ष्मीनारायण के साथ राम परिवार की प्रतिमाएं और शिव परिवार स्थापित है। यहां बारिश के पानी को छत से लेकर नालों से होते हुए मंदिर के नीचे स्थित कुंड में एकत्रित किया जाता है। इसके बाद मंदिर के पुजारी द्वारा सभी धार्मिक प्रक्रिया, साफ-सफाई और बागवानी में इस पानी का उपयोग होता है।  

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शुद्ध और दैवीय है यह जल

मंदिर निर्माण के साथ ही 20 हजार लीटर क्षमता वाले भूमिगत कुंड का भी निर्माण कराया गया था। मानसून के पानी को पूरे साल इसमें संजोए कर रखा जाता है। व्यवस्थापक बताते हैं कि छत से बारिश का पानी नालियों के माध्यम से होता हुआ इस कुंड में इकट्ठा होता है। यह जल काफी शुद्ध और दैवीय माना जाता है।
 
आरती और प्रसाद में होता है जल का उपयोग
मंदिर के पुजारी कृष्ण व्यास द्विवेदी ने जानकारी दी कि पूरे दिन मंदिर में 7 बार आरती की जाती है। साथ ही आरती और प्रसाद की तैयारी में भी इस पानी का उपयोग होता है। भक्तों को इसी पानी का पंचामृत भी दिया जाता है।

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