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Brahma Temple Rajasthan: क्या आपने कभी ब्रह्मा जी का मंदिर देखा है, शायद नहीं देखा होगा। क्योंकि ब्रह्मा जी का मंदिर सिर्फ राजस्थान के पुष्कर जिले में है, चलिए आपको इसके पीछे की रोचक कहानी बताते हैं।

Brahma Temple: देश के हर कोने में आपको शिव शंकर और विष्णु जी के कई अलग-अलग और अनोखे मन्दिर देखने को मिल जाते हैं, लेकिन क्या सृष्टि की रचना करने वाले ब्रह्मा जी के मन्दिर देखने को मिलते हैं। शायद आपका जवाब न में होगा, क्योंकि कहा जाता है कि भारत में ब्रह्मा जी का सिर्फ एक ही मन्दिर है और वो भी राजस्थान के पुष्कर जिले में। इस मन्दिर को ब्रह्मा मन्दिर के नाम से जाना जाता है। अब सोचने वाली बात ये है कि आखिर ऐसा क्यों है? तो आइए जानते हैं इसके पीछे की कहानी।

पद्म पुराण में मन्दिर का जिक्र

कहा जाता है कि देश में ब्रह्मा जी का इकलौता मन्दिर सिर्फ राजस्थान के पुष्कर जिले में ही है। इसके पीछे एक कहानी बहुत प्रचलित है जिसका जिक्र पद्म पुराण में भी किया गया है। एक बार धरती पर वज्रनाश नाम के एक राक्षस ने उत्पात मचा रखा था। वो लोगों पर काफी अत्याचार किया करता था। उसके अत्याचार इतने ज्यादा बढ़ गए थे कि परेशान होकर ब्रह्मा जी ने वज्रनाश का वध कर दिया। जिस समय ब्रह्मा जी उसका वध कर रहे थे, तब ब्रह्मा जी के हाथों से धरती की तीन जगहों पर कमल के फूल गिर गए। जहां-जहां वो तीनों फूल गिरे, वहां पर तीन झील बन गयीं। उनमें से एक जगह का नाम पड़ा पुष्कर। 

ब्रह्मा जी ने की दूसरी शादी! 

संसार की भलाई के लिए ब्रह्मा जी ने पुष्कर में यज्ञ करने का फैसला किया। ब्रह्मा जी यज्ञ करने के लिए पुष्कर गए, जहां उन्हें अपनी पत्नी के साथ यज्ञ के लिए बैठना था। पूजा का शुभ मुहूर्त बीत रहा था और सभी देवी-देवता भी यज्ञ के लिए पहुंच चुके थे, लेकिन उनकी पत्नी सावित्री अभी तक नहीं पहुंची थीं। जब शुभ मुहूर्त निकलने लगा तो ब्रह्मा जी ने यज्ञ को शुभ मुहूर्त में समाप्त करने के लिए एक उपाय निकाला। उन्होंने नंदिनी नामक गाय के मुख से गायत्री को प्रकट किया और उनसे विवाह कर लिया। इसके बाद उन दोनों ने यज्ञ समाप्त किया।

ब्रह्मा जी की पत्नी ने दिया श्राप

सावित्री जी जब यज्ञस्थली पर पहुंची तो ब्रह्मा जी और गायत्री जी को पूजा में एक साथ बैठा देख वे क्रोधित हो गयीं। उन्होंने ब्रह्मा जी को श्राप दे दिया। इतना ही नहीं उन्होंने विवाह कराने वाले ब्राह्मण को भी श्राप दिया कि ब्राह्मणों को कितना भी दान मिलेगा, लेकिन वो संतुष्ट नहीं होंगे। उन्होंने गाय को कलियुग में गंदगी खाने और नारद जी को आजीवन कुंवारा रहने का श्राप दिया। वहीं सावित्री जी ने अग्निदेव को कलियुग में अपमानित होने का श्राप भी दिया। 

क्यों सिर्फ पुष्कर के इस मन्दिर में ही होती है ब्रह्मा जी की पूजा

ये देखकर वहां मौजूद सभी लोगों ने माता सावित्री से श्राप वापस लेने की विनती की, तब सावित्री जी ने अपना श्राप वापस लेते हुए ब्रह्मा जी से कहा कि इस धरती पर सिर्फ पुष्कर में ही आपकी पूजा की जायेगी। यहां पर लोग बहुत दूर-दूर से दर्शन करने के लिए आते हैं। कहा जाता है ये मन्दिर 2000 साल से भी ज्यादा पुराना है। मान्यता ये भी है कि मन्दिर के पास जो पुष्कर झील है, वो भी ब्रह्मा जी ने बनाई थी जिसके कारण भक्तगण इस झील में स्नान भी करते हैं। 

बाद में बनाये गए ब्रह्मा जी के और मन्दिर

वैसे तो ब्रह्मा जी के और भी मंदिर हैं, लेकिन पद्म पुराण के अनुसार ब्रह्मा जी का ये इकलौता मन्दिर है, जहां पर उन्होंने कार्तिक पूर्णिमा के दिन यज्ञ किया था। बाद में ब्रह्मा जी के और भी मंदिर बनाये गए। ब्रह्मा जी का दूसरा मंदिर राजस्थान के बड़मेर जिले के आसोतरा गांव में है। इसके अलावा मध्य प्रदेश के खजुराहो और तमिलनाडु के तिरुपत्तुर में भी ब्रह्मा जी का मंदिर स्थित है।

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