rajasthanone Logo
Maa Chamunda Temple: मां चामुंडा मंदिर मेहरानगढ़ की तलहटी पर स्थापित है। माना जाता है कि माता ने चील बनकर अपने भक्तों की रक्षा की थी। मंदिर की मान्यता है कि यहां मांगी गई हर मनोकामना मां पूरी करती है।

Maa Chamunda Temple: भारत में ऐसे कई प्राचीन और अनूठे मंदिर स्थित है। राजस्थान में भी एक ऐसा प्राचीन चामुंडा मंदिर है, जहां माना जाता है कि माता ने चील बनकर अपने भक्तों की रक्षा की थी। मंदिर की मान्यता है कि यहां मांगी गई हर मनोकामना मां पूरी करती है। आज इस लेख में हम आपको मां चामुंडा के इस रहस्यमय मंदिर के बारें में विस्तार से जानकारी देंगे।

कहां स्थित है यह मंदिर?

मां चामुंडा का यह अनोखा मंदिर मेहरानगढ़ की तलहटी पर स्थापित है। जोधपुर की स्थापना के दौरान मेहरानगढ़ की पहाड़ी पर किले के निर्माण के साथ इस मंदिर को भी स्थापित किया गया था। 561 वर्ष पहले मां चामुंडा देवी को मंडोर के परिहारों की कुलदेवी के रूप में जाना जाता था। 

मां ने चील बनकर बचाई थी लोगों की जान

मां चामुंडा माता के इस मंदिर में लोगों की गहरी आस्था है। बताया जाता है कि वर्ष 1965 और 1971के भारत-पाकिस्तान के युद्ध के समय जोधपुर पर गिरे बम और गोलों से भक्तों को बचाने के लिए माता ने चील का रूप धारण कर लोगो की जान बचाई थी। साथ ही 9 अगस्त 1857 को गोपाल पोल के करीब बारूद के ढेर पर बिजली गिर गई थी, जिसके कारण मंदिर तो पूरी तरह से टूट गया था लेकिन माता की मूर्ति पर एक निशान भी नहीं आया।  

मंदिर से जुड़ी मान्यताएं

मां चामुंडा के इस खास मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखने को मिलती है। सालाना हजारों भक्त माता के दर्शन के लिए यहां आते हैं। जानकारी के लिए बता दें कि मंदिर का निर्माण महाराजा अजीतसिंह द्वारा करवाया गया था। मारवाड़ के राठौड़ वंशज मां दुर्गा को चील के स्वरूप में पूजा करते थे। 

मान्यता है कि जब तक इस मंदिर और मेहरानगढ़ किले पर चीलें मंडराती रहेगी, तब तक माता का आशीर्वाद लोगों पर बना रहेगा और शहर पर कोई विपत्ति नहीं आ सकती है। ऐसा माना जाता है कि माता के दर्शन करने से ही लोगों के सभी दुख नष्ट हो जाते है और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है।

ये भी पढ़ें:- Jaigarh Kila: जयगढ़ किले की रहस्यमयी कहानी, जहां से इंदिरा गांधी ने निकलवाया था अरबों का सोना, जानें इसका इतिहास

5379487