Mahalakshmi Temple In Jaipur: राजस्थान के उज्जैन में स्थित श्री महालक्ष्मी जी मंदिर एक अनोखा और प्राचीन मंदिर है, जो माता महालक्ष्मी को समर्पित है। यह मंदिर लगभग 160 साल पुराना है और इसे जयपुर के महाराजा सवाई रामसिंह द्वितीय के शासनकाल में बनाया गया था। इस मंदिर को लेकर ऐसी मान्यता है कि यहां पर अगर कुंवारी पूजा करती हैं, तो उनकी शादी जल्दी होती है।
मंदिर की विशेषताएं
- यह मंदिर गज लक्ष्मी और वैभव लक्ष्मी के नाम से भी जाना जाता है।
- माता लक्ष्मी यहां दो हाथियों पर सवार हैं।
- यह मंदिर पंच द्रविड़ श्रीमाली ब्राह्मण समाज की कुलदेवी है।
- मंदिर में श्राद्ध पक्ष की अष्टमी को पाटोत्सव होता है।
- दीपावली पर विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।
मान्यताएं
- माता की पूजा-आराधना करने से धन-धान्य और खुशहाली मिलती है।
- साथ ही यहां पूजन से कुंवारी युवतियों की जल्द शादी होती है।
मंदिर का इतिहास
- जयपुर के महाराजा सवाई रामसिंह द्वितीय के शासनकाल में महालक्ष्मी के इस मंदिर को बनाया गया था।
- इस मंदिर में महालक्ष्मी की प्राण प्रतिष्ठा पंच द्रविड़ श्रीमाली ब्राह्मण समाज की ओर से की गई थी।
- तत्कालीन महाराजा ने श्रीमाली ब्राह्मण को यहां बसाया था।
श्रद्धालुओं की मान्यता
- व्यापारी और छात्र माता के दर्शन करने के साथ ही अपने दिन की शुरुआत करते हैं।
- शाम को होने वाली आरती में अलग ही सुकून मिलता है।
- यहां आकर सभी मनोकामना पूर्ण होती है।
मंदिर के आसपास का विकास
- अब मंदिर के पास एक बड़ा-सा बाजार लगा हुआ है।
- मंदिर के ठीक सामने एक निजी महाविद्यालय भी मौजूद है।
श्रद्धालुओं के अनुभव
- वहां के एक व्यापारी ने बताया कि वो भी अपनी दुकान पर जाने से पहले एक बार माता के दर्शन जरूर करते हैं।
- शिक्षक राहुल ने बताया कि वो 2 साल से यहां नियमित आ रहे हैं और यहां आकर वो डिप्रेशन फ्री हो जाते हैं।
- छात्रा दुर्वा ने बताया कि वो अपने दादाजी और पिताजी के साथ बचपन से यहां आ रही हैं और उन्हें लगता है कि यहां आकर उनकी सभी मनोकामना पूर्ण होगी।
यह मंदिर एक अनोखा और प्राचीन स्थल है, जो अपनी सुंदरता और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। यह एक ऐसा स्थल है जो आपको जरूर देखना चाहिए।