Shivratri 2025: राजस्थान के बांसवाड़ा जिले में स्थित दाहोद रोड़ पर पाडीकला गांव में रामेश्वर महादेव का मंदिर स्थित है। माना जाता है कि इस मंदिर शिवरात्री के अवसर पर पानी में भगवान शिव की शिवलिंग प्रकृट होती है। यहां के वागड़ में पहाड़, गुफा और नदियों में पानी के बीच शिवजी का परिवार रहता है। बांसवाड़ा के हर गांव में शिवजी के मंदिर स्थापित किए गए है। अपने आराध्य महादेव की पूजा अर्चना और दर्शन के लिए भक्तों ने हर गांव में भगवान शिव के मंदिर की बनवाएं है।
पहाड़, गुफा और पानी के बीच स्थित है मंदिर
बांसवाड़ा में स्थित रामेश्वर महादेव का मंदिर बड़े-बड़े पहाड़ों, गुफा और पानी के बीचों-बीच बना हुआ है। यहां हर वर्ष शिवरात्री के अवसर पर मेले का आयोजन किया जाता है। इसके अलावा बांसवाड़ा जयपुर मार्ग पर खमेरा में भाटिया महादेव का मंदिर एक गुफा के अंतर स्थित है। इस मंदिर में शिवरात्री के खास मौके पर भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। इसके अलावा आनंदपुरी के पास माही और अनास नदी के संगम पर संगमेश्वर महादेव मंदिर बना हुआ है।
बदरेल के पास खांदू खुर्द गांव का चारणेश्वर महादेव मंदिर नदी के बीच स्थित है। साथ ही कागदी नदी के बीच अंकलेश्वर महादेव मंदिर बना हुआ है। शहर के यह सभी महादेव मंदिर साल के चार महिने पानी के अंतर डूबे रहते है। संगमेश्वर और चारणेश्वर महादेव मंदिर में दर्शन करने के लिए भक्तों को नाव से जाना पड़ता है।
32 कलात्मक पाषाण स्तंभों पर बना है यह मंदिर
पाडीकला गांव की ऊंची पहाड़ी पर स्थित भगवान शिव का प्राचीन रामेश्वर महादेव मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में किया गया था। इस मंदिर की खास बात यह है कि इस मंदिर को 32 कलात्मक पाषाण स्तंभों पर बनाया गया है। इस पूर्वाभिमुख मंदिर में काले रंग के स्वयंभू शिवलिंग मौजूद है। यहां भगवान भौलेनाथ के साथ माता पार्वती की मूर्ति भी स्थापित है। द्वारपाल पर भैरवजी की प्रतिमा भी स्थित है।
मुगल शासक औरंगजेब ने तुड़वा दिया था मंदिर
बताया जाता है कि लगभग 800 साल पुराने इस मंदिर को मुगल शासक औरंगजेब द्वारा तोड़ा गया था, जिसके खंडित स्तंभ आज भी मंदिर में मौजूद है। 16वीं शताब्दी में मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया गया था। मंदिर तक पहुंचने के लिए भक्तों को 125 सीढ़ियों की चढ़ाई करनी पड़ती है। बताया जाता है कि इसी जगह से पांडव अपना अज्ञातवास काल बिताने के लिए घोटिया आंबा गए थे।
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