Mahashivratri 2025: हर साल महाशिवरात्रि का पर्व पूरे भारत में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। राजस्थान के प्रचीन शिव मंदिरों में भी इस दिन लोग भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए दूध, जल, बेलपत्र आदि शिवलिंग पर चढ़ाते है। राजस्थान के राजसमंद की जीवनदायिनी नदी चंद्रभागा के तट पर स्थित भगवान वेवर महादेव मंदिर में सात दिनों तक महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है।
इन सात दिनों के पहले दिन भगवान शिव के विवाह का कार्यक्रम आयोजित किया जाता है। इस दौरान कलश (घट) व खड़ग (तलवार) की स्थापना की जाती है। दूसरे दिन महिलाएं भगवान को हल्दी लगाकर हल्दी की रस्म पूरी करती है और मंगल गीत गाती है। तीसरे दिन भांग का भोग चढ़ाया जाता है। दो दिन मेले का आयोजिन किया जाता है। जिसके बाद मंदिर में गणेश जी की स्थापना कर भगवान शिव को दुल्हे की तरह सजाया जाता है।
राजा-महाराजाओं के समय से चलती आ रही है परंपरा
मंदिर में यह धार्मिक कार्यक्रम आजादी से पहले से चलते आ रहे है। सदियों पहले राजा-महाराजाओं के समय से यह रीति-रीवाज होते आ रहे है। आजादी के बाद बनी आमेट पंचायत, पंचायत समिति और बाद में नगरपालिका की ओर से हर साल महाशिवरात्रि के अवसर पर शोभायात्रा निकाली जाती है। पहले पालिका व शिवभक्तों की ओर से एक ट्रैक्टर-ट्रॉली में भगवान शिव की छवि लगाकर बलदेव व्यायाम शाला के संस्थापक बलदेव सिंह चौहान के सानिध्य में पहलवानों की ओर से करतब दिखाते हुए शोभायात्र निकलानी जाती थी।
मंदिर से जुड़ी मान्यता
मंदिर परिसर में स्थित भैरूजी बावजी मंदिर से निकलने वाली गुफा करीब 10 किलोमीटर दूर अरावली की पहाड़ियों पर स्थित हीम माता मंदिर के पीछे से निकलती है। इस मंदिर के चमत्कारों के कारण हर दिन लोग अपनी मनोकामना लेकर आते हैं। माना जाता है कि मंदिर में मांगी गई सभी मनोकामना पूरी होने पर लोग यज्ञ-हवन, प्रसादी और अभिषेक कर भगवान का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
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