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Naga Sadhus History: नागा साधु के बारे में आपने भी जरूर सुना होगा, आज हम आपको इसके इतिहास के बारे में बताने वाले हैं। साथ ही यह भी बताएंगे कि नागा साधु कैसे बनते हैं।

Naga Sadhus History: भारत में वैसे तो कई तरह के साधु होते हैं, लेकिन उनमें से एक नागा साधु भी है, जिसको लेकर खूब चर्चा होती है। बहुत कम लोगों की इस राह पर चलने की हिम्मत होती है। आज हम आपक नागा साधु के इतिहास के बारे में बताने वाले हैं। नागासाधु भारत में कहां से आए, उनका इतिहास क्या है और ये लोग कैसा जीवन जीते हैं। आज हम आपको उनकी रहस्यमयी जीवन की कहानी बताने वाले हैं।

कोई व्यक्ति कैसे बनता है नागा साधु

नागा साधु बनने के लिए जीवन में मोह, माया से मुक्ति पानी होती है। शारिरिक सुख से लेकर जीवन के हर सुख को त्यागना पड़ता है, तब जाकर कोई साधु नागा साधु बन पाता है। नागा साधु को नागा योद्धा भी कहा जाता है। वह अपने एक हाथ में हमेशा शस्त्र रखते हैं, जो इस बात का प्रतीक है कि वह धर्म की रक्षा के लिए हमेशा तत्पर हैं। आदि गुरु शंकराचार्य ने 8वीं शताब्दी में अखाड़ा प्रणाली की स्थापना की थी, इस प्रणाली के अंतर्गत नागा साधुओं का जन्म हुआ। कुंभ के मेले में कई साधु आपको देखने को मिलेंगे, उन्हीं में से एक ग्रुप नागा साधु का भी रहता है, जो आपको सभी से अलग दिखेगा। 

नागा साधुओं ने की थी देश की रक्षा

नागा साधु कई वर्षों तक कठिन साधना करते हैं। पहले व्यक्ति को ब्रह्मचारी का जीवन बिताना होता है, फिर उसे महापुरुष का दर्जा दिया जाता है, इसके बाद वह अवधूत बनते हैं, तब जाकर कोई साधु नागा साधु कहलाता है। नागा साधु की दीक्षा महाकुंभ के दौरान पूरी होती है। कुंभ के मेले में गंगा में 108 डुबकियां लगाते हैं, जो उनकी तपस्या और शुद्धता का प्रतीक होती है। 1757 में जब अफगानिस्तान ने आक्रमणकारी अहमद शाह अब्दाली ने गोकुल को नष्ट करने के लिए भारत पर हमला किया था। लेकिन वहां 111 नागा साधु पहले से उपस्थि थे, जिन्होंने 4000 सैनिकों का मुकाबला किया और उन्हें खदेर दिया था। 

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