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Top 3 Mata Temple In Rajasthan: चैत्र नवरात्रि 2025 का प्रारंभ भी हो गया ऐसे में अगर आप मंदिर घूमने जाने का प्लान कर रहें तो आइए आपको बताते हैं राजस्थान की ऐसी तीन देवी मंदिरों के बारें में जहां शराब चढ़ाई जाती है।

Chaitra Navratri 2025: राजस्थान में कई ऐसे बड़े मंदिर हैं, जहां की धार्मिक मान्यताएं बेहद अलग और ख़ास होती हैं। प्रदेश में कई देवी मंदिर भी हैं जहां भक्त अपनी मान्यताएं लेकर जाते हैं और पूरी होने पर चढ़ावा चढ़ाते हैं। 30 मार्च रविवार से चैत्र नवरात्रि 2025 का प्रारंभ भी हो गया। ऐसे में आइए आपको बताते हैं राजस्थान की ऐसी मंदिरों के बारे में जहां शराब का भोग लगाया जाता है।

राजस्थान में कुछ ऐसी मंदिर हैं जहां शराब का भोग लगाया जाता है। कहा जाता है कि इन मंदिरों में विराजमान माता शराब पाकर प्रसन्न होती हैं। जो भी भक्त यहां शराब लेकर जाता है उनकी मान्यताएं पूरी होती हैं।

भुवाल माता का मंदिर
नागौर जिले के भुवाल गांव में भुवाल माता का मंदिर है, जहां देवी माता को शराब का भोग लगाया जाता है। काली माता का स्वरूप भुवाल माता को माना जाता है। खास बात यह है की देवी को ढाई प्याला ही शराब चढ़ाई जाती है। मंदिर के पुजारी आंख बंद कर चांदी के प्याले में शराब भरकर देवी मां को प्रसाद ग्रहण करने का अनुरोध करते हैं। कुछ ही मिनटों में शराब प्याले से अपने आप ही गायब हो जाती है। भुवाल माता इस भक्ति का प्रसाद ग्रहण करती हैं जिन भक्तों की मनोकामना पूरी होनी होती है।

टोंक का दुणजा माता मंदिर
राजस्थान के टोंक जिले से 40 किलोमीटर दूर दूणी गांव में दुणजा माता का मंदिर है। इस मंदिर में देवी मां को शराब का भोग चढ़ाया जाता है। इस मंदिर के विषय में कहा जाता है कि यहां देवी मां पाषाण के रूप में स्वयं प्रकट हुई थी। कुछ साल पहले तक खुले में शराब का भोग लगाया जाता था लेकिन कुछ वर्षों शराब के भोग के दौरान पुजारी की ओर से पर्दा लगाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि देवी मां भक्तों की हर मनोकामनाएं पूरी करती है।

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शीला माता मंदिर

जयपुर के पास प्रसिध्द आमेर का किला है। जहां शीला माता मंदिर है, जिसमें देवी दुर्गा के रूप काली माता की पूजा की जाती है। कहा जाता है कि जब राजा मानसिंह केदार से हार गए थे तो इसी मंदिर में आकर पूजा की थी। इस मंदिर में शराब का प्रसाद चढ़ाया जाता है। नवरात्रि के दिनों में इस मंदिर में भक्तों की भीड़ आती है।

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