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Navratri 2025: नवरात्रि का समय मां दुर्गा की आराधना के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। इस साल 30 मार्च से चैत्र नवरात्रि का आगाज होने जा रहा है। ऐसे में माता के प्रसिद्ध शक्तिपीठ पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है।

Navratri 2025: राजस्थान में माता के कई प्रसिद्ध और ऐतिहासिक मंदिर स्थित है। जहां नवरात्र में मां का आशीर्वाद लेने से ही भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है। आज इस लेख हम आपको राजस्थान के नौ माता मंदिरों के बारे में विस्तार से बताएंगें।
 
1.करणी माता मंदिर
करणी माता मंदिर बीकानेर शहर से कुल 30 किलोमीटर दूर स्थित है। इसका निर्माण महाराजा गंगा सिंह ने करवाया था। खास बात यह है कि यहां 25 हजार से भी अधिक चूहे मौजूद हैं। माना जाता है कि ये चूहे माता करणी के वंशज हैं। संध्या आरती के दौरान सभी चूहे और मंदिर के आसपास के जानवर बाहर आ जाते है।   

2. शाकंभरी माता मंदिर
शाकंभरी माता को चौहान वंश की कुलदेवी भी कहा जाता है। देवी भागवत पुराण के मुताबिक एक बार राक्षसों के दुष्प्रभाव के कारण पृथ्वी पर अकाल पड़ा, जिसके बाद देवताओं और मनुष्यों ने देवी की पूजा अर्चना की और मां ने भक्तों को आदिशक्ति ने नव रूप में दर्शन दिए। उनकी दिव्य ज्योति से बंजर धरती में भी शाक उत्पन्न हो गई। माना जाता है कि मां शाकंभरी की प्रतिमा स्वयं प्रकट हुई थी।

3. जीण माता मंदिर
राजस्थान के सीकर जिले में स्थित जीण माता मंदिर के बारे में कहा जाता  है कि इस मंदिर में औरंगजेब ने भी मां के आगे सिर झुकाया था। मान्यता है कि मां के दरबार में दर्शन मात्र से ही भक्तों के सभी रोग और परेशानी दूर जाती है।

4. तनोट माता मंदिर
भारत-पाक के बॉर्डर पर स्थित जैसलमेर से करीब 120 किमी दूर स्थित तनोट माता मंदिर भक्तों की आस्था का प्रमुख केंद्र माना जाता है। 1965 के भारत-पाक युद्ध में काफी बमबारी हुई थी, लेकिन माता के चमत्कार के कारण यहां एक भी गोला नहीं फटा।

5. शीतला माता मंदिर
पाली जिले में स्थित माता शीतला का प्राचीन मंदिर एक ऐतिहासिक मंदिर है। मंदिर में मौजूद यह घड़ा पिछले 800 सालों से नहीं भरा है। मान्यता है कि शीतला माता ने यहां एक छोटी सी बच्ची के रूप में भक्तों को दर्शन दिए थे।

6. कैला देवी मंदिर
राज्य के करौली जिले में स्थापित कैला देवी मंदिर में भक्त दूर-दूर से आये है। माना जाता है कि यहां स्थित कैला देवी यदुवंशी है। जिन्हें लोग भगवान श्री कृष्ण की बहन भी मानते है। मंदिर के पास में मौजूद कालीसिंध नदी भी चमत्कारिक है, जहां स्नान करने से सभी चर्म रोग ठीक हो जाते है।

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7. यहां गिरे थे मां के अधर
राजस्थान के माउंट आबू में मौजूद अर्बुदा देवी मां दुर्गा के कात्यायनी का ही एक रूप है। नवरात्रि के छठवें दिन उनकी पूजा की जाती है। यह मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है। मान्यता है कि शिव तांडव के बाद यहां माता के अधर गिरे थे।
 
8. पानी वाली देवी
भारत-पाक के बंटवारे के समय बाड़मेर जिले की पश्चिमी सरहद पर पानी की कमी होने के कारण ग्रामीणों ने देवी की पूजा कर एक कुएं की खुदाई कराई थी। जिसके बाद से इसमें मीठा पानी मिलने लगा। इसके बाद यहां माता के मंदिर की स्थापना की गई और इसे पानी वाली देवी के नाम से जाना जाने लगा।
 
9. हिंगलाज माता मंदिर
हिंगलाज माता मंदिर राजस्थान के दौसा जिले में स्थित है। नवरात्रि के दौरान हजारों भक्त यहां माता के दर्शन करने पहुंचते है। इस दौरान यहां रोज़ सत्संग का आयोजन होता है, बड़े पैमाने पर सुबह शाम माता की आरती होती है और दिन में भागवत कथा का आयोजन भी किया जाता है।

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