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Navratri 2025: राजस्थान में ऐसे 3 प्राचीन माता के मंदिर स्थित है जहां मां को शराब का भोग लगाने से मां दुर्गा प्रसन्न होती है और भक्तों की मांगी गई सभी मनोकामनाएं पूरी करती है।

Navratri 2025: राजस्थान में कई ऐसे प्राचीन मंदिर स्थित है, जहां आज भी अनोखी धार्मिक आस्थाएं निभाई जाती है। आज हम बात करने जा रहे है राज्य के उन 3 ऐतिहासिक माता के धामों की जहां देवी को भोग के रूप में शराब चढ़ाई जाती है। माना जाता है कि शराब चढ़ाने से मां प्रसन्न होती  है और भक्ती पर अपनी असीम कृपा बरसाती है।  
 
शीला माता मंदिर
राजधानी जयपुर के पास आमेर किला के परिसर में स्थित शीला माता मंदिर मां के प्रसिद्ध धामों में से एक है। यहां मां दुर्गा की काली माता के रूप में पूजा की जाती है। मान्यता है कि जब जयपुर के महाराजा राजा मानसिंह जब केदार से युद्ध हार गए थे, तब उन्होंने काली मां से जीत की प्रार्थना की थी। जिसके बाद मां ने उनके सपने में आकर उन्हें जीत का वरदान दिया था। इसके बाद उनकी मनोकामना पूरी हुई और उन्होंने महल के अंदर माता रानी के मंदिर का निर्माण कराया था। खास बात यह है कि माता को इस मंदिर शराब का भोग लगाया जाता है। नवरात्री के मौके पर यहां विशेष पूजा की जाती है। 
 
भुवाल माता मंदिर
भुवाल माता मंदिर प्रदेश के नागौर जिले के मेड़ता के पास स्थित है। देवी दुर्गा के इस मंदिर में लोग दूर-दूर से शराब लाकर माता को भोग लगाते है। मान्यता है कि कोई भी भक्त जब अपनी आंखें बंद कर माता का ध्यान करते हुए शराब को मां के आगे रखता है, माता रानी उसकी सभी इच्छाओं को पूर्ण करती है। अनूठी बात यह है कि शराब का प्याला रखते ही थोड़ी देर में वह पूरा खाली हो जाता है। कहा जाता है कि यह मंदिर डाकुओं ने बनवाया था। 

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दुणजा माता मंदिर
टोंक जिले से लगभग 40 किलोमीटर दूर दूणी गांव में दुणजा माता का मंदिर बना हुआ है। इस मंदिर में स्थित देवी मां को भी शराब का भोग अर्पण किया जाता है। 900 साल पुराने इस मंदिर के बारे में कहा जाता है इस स्थान पर देवी मां पाषाण के रूप में प्रकृट हुई थी। कुछ साल पहले तक लोग खुले माता को शराब का भोग लगाते थे, लेकिन अब कुछ सालों से मंदिर के पुजारी द्वारा ही माता को भोग लगाया जाता है।

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