Pandeshwar Mahadev Mandir: सनातन धर्म में महाशिवरात्रि का पर्व बेहद महत्व रखता है। महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा की जाती है। शिवरात्रि के दिन लोग अपने आस्था के अनुसार अलग - अलग धार्मिक केंद्रों में जाते हैं। राजस्थान में भी एक 4500 साल पुराना मंदिर है, जहां भक्त शिवरात्रि के दिन उमड़ पड़ते हैं। यह पुष्कर के मध्य स्थित नागपहाड़ी पर है जिसे पांडेश्वर महादेव मंदिर कहते हैं। मान्यता है कि यहां श्रद्धापूर्वक पूजा करने से मनोकामनाएं पूरी होती है।
अजमेर से 15 किलोमीटर दूर स्थित ये मंदिर
जानकारी के मुताबिक, यह अजमेर से लगभग 15 किलोमीटर दूर स्थित इस मंदिर में पहुचंने के लिए दुर्गम पहाड़ी रास्तों से होकर जाना पड़ता है। शिवरात्रि के दिन यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। इस मंदिर में शिवलिंग की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। मंदिर में पूरा शिव परिवार विराजमान है। सावन के सोमवार को भी यहां लोग दूर - दूर लोग आते हैं। मंदिर के आस-पास की हरियाली और प्राकृतिक सुंदरता भी लोगों को आकर्षित करता है।
महीनों तक रहे थे पांडव
कहते हैं कि महाभारत के बाद पांडव यहां की नाग पहाड़ी पर पिंडदान करने पहुंचे थे। उन्होंने यहां पर पांच कुंड बनाएं थे और सोमवती अमावस्या का इंतजार किया था। लेकिन, सोमवती अमावस्या नहीं आई तो उन्होंने उसे श्राप दिया कि वो एक वर्ष में कई बार आएगी। इसके बाद पांडव यहां से चले गए। कहते हैं तभी से इसे पांडवेश्वर महादेव या फिर पंचकुंड नाम से जाना जाता है।
एक यह भी है मान्यता
वहीं, इस मंदिर को लेकर एक और मान्यता है कि यहां पांडव वनवास के दिनों में यहां रूककर भगवान शिव की प्रार्थना की थी। लेकिन, जब शिव ने दर्शन दिए तो पांडव उनसे कुछ नहीं मांग सके। बाद में मन में ही पांडवों ने अपना खोया हुआ राज-पाठ भगवान से मांगा जो कि बाद में मिल भी गया। तभी से कहा जाता कि इस मंदिर में दर्शन मात्र से खोई हुई चीज मिल जाती है।
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