Rajasthan Shaktipith: राजस्थान के अलग-अलग जगह पर माता के कई सारे शक्तिपीठ स्थित हैं। माता शक्तिपीठ से जुड़ी कई कथाएं पुराणों में भी वर्णित है। पौराणिक कथाओं के मुताबिक जब माता सती ने अपने पिता दक्ष से नाराज होकर अग्नि में अपना दे त्याग कर दिया था, तो उसके बाद उनके मृत शरीर को लेकर शिव जी ने तांडव किया था। इस क्रम में माता सती के अंग जहां-जहां गिरे, उसे जगह को शक्तिपीठ बनाया गया। आइए आज हम आपको राजस्थान में स्थित कुछ प्रमुख शक्तिपीठों के बारे में जानकारी देते हैं।
त्रिपुर सुंदरी शक्तिपीठ
त्रिपुर सुंदरी शक्तिपीठ दक्षिणी राजस्थान के आदिवासी बहुल जिले बांसवाड़ा में स्थित है। 52 शक्तिपीठों में सिद्ध या शक्तिपीठ काफी ज्यादा शक्तिशाली मानी जाती है। ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में आने के बाद जो भक्त माता के दर्शन करते हैं, उनकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इस अद्भुत मंदिर में आम लोग ही नहीं नेताओं का भी जमावड़ा लगा रहता है। यह मंदिर बांसवाड़ा जिले से करीब 18 किलोमीटर दूर अरावली पर्वत श्रृंखला पर स्थित है। इस मंदिर के मुख्य द्वार चांदी से बनवाए गए हैं। यहां पर मां भगवती त्रिपुरा की मूर्ति में 18 भुजाएं बनाए गए हैं। नवरात्रि के दौरान यहां पर भक्तों का भारी भीड़ देखने को मिलता है।
कैला देवी मंदिर
कैला देवी मंदिर राजस्थान के करौली जिले में स्थित है। इस पुराने मंदिर में चांदी की चौकी पर सुंदर छतरियों के नीचे दो मूर्तियां रखी हुई है। एक मूर्ति बाई और है जिसका मुख टेढ़ा है उन्हें कैला मैया के नाम से जानते हैं तो वहीं दूसरी मूर्ति मैं माता चामुंडा देवी की छवि बनाई गई है। यह मंदिर उत्तर भारत के प्रमुख शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। इस पुराने मंदिर को लेकर कई सारी मान्यताएं बताई जाती है। इस मंदिर को लेकर ऐसी मान्यता है कि जब कंस ने वासुदेव और देवकी की बेटी को मारना चाहा, उसी को कैला देवी मंदिर के नाम से जाना जाता है।
करणी माता मंदिर
करणी माता का मंदिर पश्चिम राजस्थान के बीकानेर के देशनोक में स्थित है। इस मंदिर में भारी संख्या में चौहान का निवास होता है। इस वजह से इस भव्य मंदिर को चूहे का मंदिर भी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि इसमें सफेद चूहे रहते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में सफेद चूहों को देखने के बाद सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इसे देवी का अद्भुत चमत्कार भी माना जाता है जिसके चलते भारी संख्या में चौहान होने के बाद भी बीमारियां नहीं फैली है।