Rajasthan Bishnoi Community: भारत का बिश्नोई समाज बहुत प्राचीन समाज है, जो प्रकृति और पर्यावरण से प्रेम के लिए जाना जाता है। इस समुदाय के लोग पेड़ों की रक्षा करते हैं और जानवरों की सेवा करते हैं। यह समाज 15वीं शताब्दी में जम्भेश्वर जी के द्वारा स्थपित किया गया था। इनका जन्म 1451 ईस्वी को माना जाता है। ये राजस्थान के नागौर जिले में पिपासर गांव में जन्मे थे। उनका मानना था कि समाज में बहुत सी बुराइयां हैं और इन्होंने उन्हीं बुराइयों को दूर करने के लिए और लोगों को पर्यावरण व प्रकृति से जोड़ने के लिए बिश्नोई समाज की नींव रखी।
बिश्नोईयों की विशेषताएं:
बिश्नोई समाज की स्थापना ही इसलिए की गई थी कि यह समाज सदैव अहिंसा के रास्ते पर चलेगा। किसी का भी बुरा करने के बारे में नहीं सोचेगा। साथ ही पर्यावरण का संरक्षण करेगा। पेड़ों और वन्यजीवों की रक्षा करेगा। बिश्नोई समुदाय के लोगों को शाकाहारी रहने और मांस का सेवन न करने के लिए कहा जाता है। ये सादगी से रहते हैं तथा मांस व मदिरापान से दूर रहते है। बिश्नोई सभी को समान मानते हैं। चाहे वह किसी भी जाती धर्म से हो।
बिश्नोईयों के 29 नियम:
जब बिश्नोई समाज की स्थापना की गई तो, इन्हें 29 नियमों का पालन करने के लिए3 कहा गया। हम यहां सभी नियमों को देखेंगे।
1. तंबाकू का सेवन नहीं करना।
2. भांग नहीं खानी।
3. अमल से दूर रहना।
4. मद्यपान नहीं करना।
5. कभी नीले वस्त्र नहीं पहनना।
6. हमेशा अजर को जरना।
7. खुद रसोई पकाना।
8. बैल को बांधिया नहीं करना।
9. अमर थाट रखना।
10. हरे वृक्षों को नहीं काटना।
11. हमेशा अमावस्या का व्रत रखना।
12. प्राणियों पर दयाभाव रखना।
13. विष्णु का भजन करना।
14. कभी वाद विवाद नहीं करना।
15. सदैव सत्य बोलना।
16. किसी की निंदा नहीं करनी।
17. किसी का कुछ नहीं चुराना।
18. हमेशा माफीभाव रखना।
19. सदैव दया नम्रभाव रखना।
20. पांच दिन का रजस्वला करना।
21. तीस दिनों का सूतक।
22. सुबह जल्दी स्नान करना।
23. हमेशा शील, संतोष और शुचि को रखना।
24. रोज प्रात: और शाम संध्या करना।
25. रोज सांझ विष्णु आरती का गुण गान करना।
26. प्रात: हवन करना।
27. पानी को हमेशा छान कर पीना और वाणी से शुद्ध बोलना।
28. हमेशा ईंधन को बिनकर और दूध को छानकर पीना।
29. सदैव सहनशीलता रखनी।