Sanwariya seth temple: राजस्थान का अनोखा मंदिर श्री सांवरिया सेठ मंदिर में अफीम की खेती करने वाले किसान और तस्कर आकर भगवान को अपना बिजनेस पार्टनर बनाते है। साथ ही हर महीने भगवान को उनका हिस्सा देने भी आते है। श्रद्धालु यहां आकर भगवान को 'काला सोना' यानी अफीम चढ़ाते है। इससे यहां एक महीने में लगभग 9 से 10 करोड़ रुपयों का चढ़ावा आता है।
कहां स्थित है यह मंदिर?
श्री सांवरिया सेठ मंदिर राजस्थान के चित्तौड़गढ़ से उदयपुर की ओर 28 किलोमीटर की दूरी पर एक भादसोड़ा नामक गांव में बना हुआ है। मान्यता है यह मंदिर मीरा बाई से जुड़ा हुआ है। जानकारी के अनुसार सांवलिया सेठ मीरा बाई के वही गिरधर गोपाल है, जिनकी वे दिन-रात पूजा पाठ करती थी।
भगवान को बनाते है अपना हिस्सेदार
कहा जाता है यहां आकर सांवलिया सेठ को अपने काम का हिस्सेदार बनाने से काम पूरा हो जाता है। काम पूरा होने पर लोग यहां भगवान को उनका हिस्सा भी चढ़ाते है। इसी के चलते किसान और तस्कर सांवलिया सेठ को अपना हिस्सेदार बनाकर दान के रूप में अफीम चढ़ाते है। साथ ही लोग यहां भगवान को अनाज, कपड़े, दूध और फल भी चढ़ाते है।
अमावास्या से पहले खोली जाती है दान पेटी
सांवलिया सेठ मंदिर भक्तों की आस्था का प्रमुख केंद्र है। इसी कारण से लोग यहा खूब दान-पून्य करते है। हर महीने अमावास्या से एक दिन पहले दान पेटी खोली जाती है और तीन-चार दिन तक इसकी गिनती होती है। पेटी में अफीम से लेकर कई प्रकार की चीजें पाई जाती है। इस मंदिर की दान पेटी का हिसाब प्रसाशन की ओर से किया जाता है।
विदेशी भी आकर चढ़ाते है पैसे
देश से लेकर विदेशों से भी श्रद्धालु यहां भगवान के दर्शन करने के लिए आते है। कई सारे एनआरआई भक्त भी सांवलिया सेठ मंदिर में दर्शन करने आते है। विद्शों में अर्जित आय में भगवान को हिस्सा चढ़ाते है। दान पेटी में अमरीकी डॉलर, पाउंड, रियॉल, दिनार आदि विदेशी मुद्रा भी पाई जाती है।
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