rajasthanone Logo
Rajasthan Dhanush Leela:  राजस्थान के बारां जिले के अटरू कस्बे में धनुष लीला का आयोजन किया गया, जो लगभग 150 साल बाद इश क्षेत्र में यह परंपरा निभाई गई।

Rajasthan Dhanush Leela: राजस्थान के हाड़ौती क्षेत्र के बारां जिले के अटरू कस्बे में 150 साल बाद 'धनुष लीला' का आयोजन किया गया। बता दे कि इस तीन दिवसीय कार्यक्रम का मुख्य प्रदर्शन रामनवमी के दिन किया जाता है। एक ऐसा प्रदर्शन होता है जिसमें न सिर्फ चार मंचों का उपयोग किया जाता है, बल्कि इनके बीच में बैठा एक पात्र दौड़ता हुआ संवाद बोलता। इसे देखने के लिए हजारों की भीड़ जमा होती है। 

दर्शायी जाती है शिव-धनुष भंग की लीला 

इस कार्यक्रम में भगवान राम की ओर से शिव-धनुष भंग करने की लीला को दर्शाया जाता है। रामनवमी के दिन पहले कस्बे में जुलूस निकाला जाता है और इसके बाद 'सर कट्या' और 'धड़ कट्‌या' की सवारी निकाली जाती है। 

ये भी पढ़ें:- Bhajan Lal Sharma: हनुमान जन्मोत्सव पर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने किए विशेष दर्शन, श्रद्धालुओं संग की पूजा

झांकियों में की जाती है तंत्र क्रियाएं 

माना जाता है कि इन झांकियों में तंत्र क्रियाएं की जाती है। इन झांकियों को उस चौक में पहुंचाया जाता है, जहां धनुष लीला का आयोजन किया जाना है। अटरू में लगभग 150 साल बाद इस धनुष लीला का मंचन किया जा रहा है। 

कांच में श्रृंगार देखते ही उठ जाते है 'भाव'

मान्यता है कि लोग मंत्रों से सिद्ध किए गए डोरे से परशुराम का किरदार निभाने वाले कलाकार की रक्षा करते है। वहीं जिस कमरे में परशुराम का किरदार निभाने वाले कलाकार का मेकअप किया जाता है, वहां एक कांच का शीशा लगा होता है। इसे साल में सिर्फ इसी मौके पर निकाला जाता है। श्रृंगार होने के बाद जब वह खुद को शीशे में देखता हो उसके अंदर भाव उमड़ पड़ते और वह तेजी से मंच की तरफ भांगता है। इसके बाद गुस्से में अपना फरसा घुमाता है और मंच के चारों तरफ दौड़ते हुए संवाद बोलता है। 

खास बात यह है कि एक नहीं बल्कि चारों मंचों को एक साथ उपयोग किया जाता है। एक मंच पर लक्ष्मण और राम अपने गुरू के साथ बैठते है और मंच पर राजा जनक व अन्य लोग बैठते है। दूसरे मंच पर  कागज , घास और लकड़ी से शिव धनुष तैयार किया जाता है।

5379487