Jalore Temple: राजस्थान जो अपने किलो और मंदिरो के लिए जाना जाता है। यहां के सभी मंदिरो के अपनी अपनी खासियत है, जिनकी वजह से इसको जाना जाता है और इनको माने जाने की परंपराओं में ही कुछ अनोखे किस्से छुपे हुए होते हैं।
मंदिर का आकार
राजस्थान के जालौर जिले के मांडवला गांव का एक जैन मंदिर है, जिसकी आधारशिला मई 1993 में रखी गई थी। इस मंदिर को बनाए जाने का तरीका अन्य मंदिरो से अलग है, क्योंकि यह मंदिर नाव के आकार में संगमरमर के पत्थर से बनाया गया था।
मंदिर बनाएं जाने की सोच
जालौर के इस जहाज मंदिर को बनाएं जाने के पीछे की सोच ये रही थी कि मुंबई में चातुर्मास के समय इस मंदिर के निर्माताओं ने तारण तीरण जहाज की चर्चा सुनी थी। तारण तीरण जहाज का ये अर्थ है कि तैर कर पानी से बाहर लाना होता है, उसके बाद ही मंदिर निर्माताओं के दिमाग में जहाज के आकार का मंदिर बनाने का विचार आया था।
मंदिर की खासियत
इस मंदिर की एक खासियत ये है कि इसके शीर्ष पर स्थित कलश का पानी पूरे गांव की प्यास बुझाने का काम करता है। इसकी खासियत ये है कि इस मंदिर के नाव आकार को संगमरमर के पत्थर बड़ी ही खूबसूरती से तराशा गया है। वहीं इसके साथ ही इस मंदिर को सोना, हीरा मोती और पन्ना से सजाकर बनाया गया है, जिसकी सौंदर्यता देखने के लिए इस मंदिर में देश विदेश से पर्यटक आते हैं।
मंदिर के लिए मुंबई से इंजीनियर
इस मंदिर के मार्बल का काम करने के लिए सिरोही के सोमपुरा और कांच के काम के लिए किशनगढ़ से कारीगर आए थे। इसके साथ ही इस मंदिर का नक्शा बनाने के लिए मुंबई से इंजीनियर बुलवाएं गए थे। इन सभी कामों के बाद अंत में मंदिर पर सोने की नक्काशी भी करावाई गई थी।
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