Madan Mohan Mandir Karauli: मदन मोहन जी मंदिर करौली नगरी का एक प्रमुख धार्मिक स्थल है, जो अपनी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्ता के लिए प्रसिद्ध है। यह मंदिर भगवान श्री कृष्ण के अवतार मदन मोहन जी को समर्पित है, जिनकी पूजा-अर्चना यहां बड़े ही हर्षोल्लास के साथ की जाती है।
मदन मोहन जी मंदिर का इतिहास
मदन मोहन जी मंदिर का इतिहास बहुत पुराना है, जो मुगल बादशाह औरंगजेब के शासनकाल में जुड़ा हुआ है। जब औरंगजेब ने हिंदू मंदिरों को ध्वस्त करने का आदेश दिया, तो मदन मोहन जी की मूर्ति को वृंदावन से जयपुर ले जाया गया। बाद में, जयपुर नरेश सवाई जय सिंह द्वितीय ने मदन मोहन जी को करौली भिजवाने का आग्रह किया, जिसके बाद मदन मोहन जी की प्रतिष्ठा करौली में की गई।
श्रद्धालुओं की उमड़ती है भारी भीड़
मदन मोहन जी मंदिर में प्रतिदिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं और अपने आराध्य के दर्शन कर खुशहाली और समृद्धि की मनौती मांगते हैं। तीज त्योहार पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है, और मदन मोहन जी वर्ष में दो बार सामनी तीज और धूलंडी के मौके पर चांदी के झूले में विराजित होते हैं।
श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर्व करौली के मदन मोहन जी मंदिर में बड़े ही हर्षोल्लास और धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस दिन मंदिर में विशेष सजावट की जाती है और रोशनी और साज सज्जा को लेकर विशेष इंतजाम किए जाते हैं। शाम 5:00 बजे मंदिर के चौक में जन्माष्टमी का दरबार लगता है, जहां ढाढि ढाढिन द्वारा बधाई गायन और नृत्य किया जाता है।
तोपों के धमाकों के साथ मनाया जाता है जन्मोत्सव
आपको बता दें कि जन्माष्टमी के दिन करौली के चौधरी खानदान की ओर से मदन मोहन जी की पोशाक चढ़ाई जाती है, जिसके बदले दूसरे दिन भोग प्रसाद दिया जाता है। रात को 12:00 बजे कान्हा के जन्म एवं अभिषेक के बाद परंपरागत रूप से तोपों के धमाकों के साथ जन्मोत्सव मनाया जाता है और भक्तों को पंचामृत एवं पंजीरी का वितरण किया जाता है।
सुरक्षा के लिए भी विशेष इंतजाम किए जाते हैं, जिसमें पुलिस प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा विभिन्न व्यवस्थाएं की जाती हैं। मंदिर में प्रवेश और निकास को लेकर अलग-अलग व्यवस्थाएं की जाती हैं, और भारी संख्या में पुलिस जाता भी सुरक्षा को लेकर तैनात किया जाता है।