Rajasthan Village: राजस्थान में ऐसे कई धार्मिक स्थल मौजूद हैं जिनकी अपनी पहचान व अनोखा इतिहास है। इन्हीं स्थलों में से एक है दौसा जिले के मेहंदीपुर बालाजी धाम से लगभग 20 किमी की दूरी पर स्थित हिंगवा गांव, जहां आज भी नाथ समाज की प्रमुख गद्दी विराजित है।
छह संतों ने एक साथ ली थी जिंदा समाधि
इस स्थान के बारें में लोगों का कहना है कि यहां छह संतों ने एक साथ जिंदा समाधि ले ली थी। बताया जाता है कि जयपुर के राजा सवाई मानसिंह लगभग 1800 साल पहले यहां दर्शन करने आए थे, तब उन्होंने इस मंदिर का निर्माण करवाया था। लेकिन किसी कारण से इसका निर्माण पूरा नहीं हो पाया।
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कई सालों में जाकर इस मंदिर को बनाया गया। लोगों मानना है कि राजस्थान के नाथ समाज की पीर गद्दी इसी गांव में विराजित है। इसके दर्शन के लिए दूर-दूर से नाथ समाज के लोग यहां आते है। इस स्थान से कई चमत्कारी बातें भी जुड़ी हुई हैं।
स्थानीय लोगों के मुताबिक इस गद्दी पर कई संत रहे। इनके लिए यहां कुल 58 स्थल बनाए गए है। इनमें से 6 संतों ने एक साथ जिंदा समाधि ले ली थी। इनमें सबसे पहले समाधि लेने वाले संत थे सुजान नाथ महाराज जी। इनके बारें में बताया जाता है कि ये जमीन के अंदर से होकर कालवान गांव पहुंचे थे, जहां उन्होंने दुबारा समाधि ली थी और फिर हिंगवा गांव के पहाड़ के पास निकले थे। आज भी समाज के लोग इस पहाड़ी पर जाकर उनकी पूजा करते हैं।
महाराज ने ओलावृष्टि से बचाई थी ग्रामीणों की फसल
ग्रामीणों ने बताया कि कई साल पहले जब गांव के लोग गंगा स्नान करने गए थे, तब महाराज ने गांव में ओलावृष्टि होने की भविष्यवाणी की थी। इसके बाद लोगों ने महाराज से फसल बचाने की गुहार लगाई थी। महाराज ने अपने चमत्कार से सारी बर्फबारी मंदिर की ज़मीन पर करा दी थी और इससे लोगों की फसल को कोई नुकसान नहीं हुआ था। आज भी लोग बाजरे और गेहूं की फसल सबसे पहले महाराज के यहां भिजवाते हैं।