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Rajsamand Temple: राजस्थान के राजसमंद जिले के खमनोर क्षेत्र में स्थित पिपलाज माता मंदिर के पास एक पेड़ मौजूद है, जहां नौ देवियां वहां झूला झूलती थी।

Rajsamand Temple: राजस्थान में यूं तो कई रहस्मय मंदिर और किले स्थित है, लेकिन आज हम बात करने वाले है एक ऐसे रहस्मय पेड़ के बारें में जो राजस्थान के राजसमंद जिले के खमनोर क्षेत्र में स्थित है। इस स्थान का वर्णन मेवाड़ के लोक नृत्य गवरी में भी किया गया है। यहां के पिपलाज माता मंदिर के पास एक पेड़ मौजूद है जहां माना जाता है कि नौ देवियां इसके निचे झूला झूलती थी। 

पाताल के राजा के उद्यान का है यह पेड़ 

माना जाता है कि पाताल के राजा वासु के उद्यान से इस रहस्मय वट वृक्ष को लाया गया था। खमनोर के पास देवल उनवास में माता पिपलाज माता का मंदिर बना हुआ है। इससे करीब एक किलोमीटर की दूरी परो वड़ल्या हिंदवा नामक एक स्थान है। इस वट वृक्ष के नीचे वड़ल्या हिंदवा माता की मूर्ती स्थापित की गई है। 

उनवास निवासी कृष्णवल्लभ श्रीमाली व ललित श्रीमाली द्वारा बताई गई जानकारी के मुताबिक इस मंदिर की स्थापना 11वीं सदि में कई गई थी। मंदिर के शिलालेख के अनुसार इस मंदिर का निर्माण 1,016 में तत्कालीन मेवाड़ नरेश आलू-अल्लट ने कराया था। 

दूध-दही से सिंचा गया था पेड़

पौराणिक कथा के अनुसार अकाल के समय नौ देवी शक्तियों की शक्ति के द्वारा पाताल के राजा वासु से युद्ध में इस वट वृक्ष को लाया गया था। पानी के अभाव के कारण इस पेड़ को दूध और दही की सिंचाई से बड़ा किया था और इसी वट वृक्ष के निए नौ देवियां खेल खेला करती थी और पेड़ पर झूला झूलती थी। 

लोक नृत्य गवरी में भी है इस प्रसंग का मंचन

इस प्रसंग का मंचन लोक नृत्य गवरी में भी देखने को मिलता है। इस प्रसंग को  पीपलाज माता से जोड़ा जाता है। लोक नृत्य गवरी में दिखाया जाता है कि कैसे अकाल के समय राजा वासु के उद्यान से नौ देवियां वट पेड़ को लेकर आई था और साथ ही इस वृक्ष पर झूला झूलती थी।

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