Kaila Devi: भारत में स्थित माता के प्रसिद्ध और चमत्कारी मंदिरों में से एक है राजस्थान का मां कैलादेवी का धाम। यह वो मंदिर जहां एक समय डकैत और डाकू भी माता के चरणों में अपना सिर छुकाते थे। मंदिर की आस्था का अंदाजा यहां की भीड़ से लगाया जा सकता है। किसी खास मौके पर ही नहीं बल्कि साल भर यहां हजारों भक्त माता के दर्शन के लिए आते हैं।
चंबल के डाकू भी नवाते थे सिर
मंदिर के पुजारी प्रकाश चंद जती के मुताबिक करीब 40 साल पहले रूपा नाम का एक डैकत यहां आकर मां कैलादवी के दर्शन करने पहुंचा था। मान्यता था कि उस समय डाकू और डकैत विजय पाने के लिए माता के मंदिर में आकर घंटा चढ़ाते थे। स्थानीय लोगों का कहना है कि आम लोगों की भीड़ में चंबल के डाकू और कई डकैत यहां आकर माता के आगे विनम्र होकर सिर नवाते थे।
मंदिर से जुड़ी कथा
माता कैलादेवी को भगवान श्री कृष्ण की बहन के रूप में पूजा जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार जब कंस को पता चला था कि उनकी बहन देवकी की संतान ही उनकी मौत का कारण बनेगी तब कंस ने देवकी और वसुदेव को बंदी बनाकर जेल में बंद कर दिया था। मौत के डर से कंस ने देवकी के सारे बच्चों को मारना शुरू कर दिया। इसके बाद जब भगवान श्रीकृष्ण ने जन्म लिया तब उनके पिता वसुदेवजी ने उन्हें मथुरा से गोकुर नंदबाबा के यहां छोड़कर आ गए। उसी समय यशोदा और नंद बाबा के यहां बेटी ने जन्म लिया था।
वसुदेवजी ने बेटी की जगह पर भगवान कृष्ण को रख दिया और बेटी को लेकर अपने साथ वापस मथुरा ले आए थे। जैसे ही कंस को पता चला कि उनकी बहन ने बेटी को जन्म दिया है तो वह उसे मारने के लिए गया। तब ही वह बच्ची देवी के रूप में प्रकृट हुई जो योगमाया थी। देवी ने कंस से कहा कि जिससे हाथों तुम्हारा अंत होगा उसका जन्म हो चुका है। बताया जाता है कि देवी राजस्थान में माता कैला देवी के रूप में विराजमान हो गई। आज भी देवी को भगवान श्री कृष्ण की बहन के रूप में पूजा जाता है।
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