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Mehndipur Balaji: राजस्थान के दौसा में स्थित मेहंदीपुर बालाजी मंदिर हनुमान जी को समर्पित है। लेकिन क्या आप जानतें है, इस मंदिर में सबसे पहले हनुमान जी की नहीं, बल्कि ऋषि नीलासुर की पूजा की जाती है।

Mehndipur Balaji: कहा जाता है यदि आपको भगवान राम की कृपा पानी है तो हनुमान जी को प्रसन्न करना होगा। हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए कई लोग मंगलवार को व्रत रखते है। वही कई लोग भगवान के प्रसिद्ध मंदिर मेहंदीपुर बालाजी मंदिर में जाकर माधा टेकते है। मेहंदीपुर बालाजी मंदिर राजस्थान के दौसा जिले में स्थित हनुमान जी का ऐतिहासिक और प्राचीन मंदिर है। कहा जाता है जो भी भक्त यहां आकर बालाजी के दर्शन करता है भगवान उसकी कुंडली में से सभी दोष नष्ट कर देते है और हनुमान जी की कृपा हमेशा बनीं रहती है। लेकिन क्या आप जानते है इस मंदिर में हनुमान जी से पहले एक ऋषि की पूजा की जाती है। आज इस लेख में हम ऋषि नीलासुर की कथा के विषय में विस्तार से बताएंगे। 

ऋषि नीलासुर की कथा

वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण के अनुसार जब तत्कालीन समय में माता केकैयी ने भगवान श्रीराम को चौदह वर्षों वनवास दिया था तब भगवान राम अपनी पत्नी और छोटे भाई लक्षमण के साथ वनवास के चले गए थे। इसके बाद रावण ने छल से माता सीता का हरण कर उन्हें कैंदी बना दिया था। मां सीता से मिलने हनुमान जी को लंका भेजा गया था। 

भगवान राम से भेंट कराने का दिया था वचन

लंका नरेश रावण को जैसे ही इस बात की खबर लगी तो उसने हनुमान जी को बंदी बनाकर उनकी पूंछ में आग लगा दी। हनुमान जी ने उसी आग से पूरी लंका जला दी थी। लंका दहन करते समय हनुमान जी की मुलाकात ऋषि नीलासुर से हुई थी। जब उन्हें बता चला कि हनुमान जी भगवान राम के दूत है तो उन्होंने राम जी से मिलने की इच्छा जारी की थी। ऋषि नीलासुर को हनुमान जी ने वचन दिया था कि वे उनकी भेंट भगवान राम से जरूर कराएंगे। 

माना जाता है कि जब भगवान श्रीराम वापस बैकुंठ लौट गए थे तब हनुमान जी मेहंदीपुर में बालाजी रूप में प्रकट हुए थे। इस समय हनुमान जी ने नीलासुर को याद किया था और उन्हें प्रेतराज सरकार की उपाधि दी थी। साथ ही हनुमान जी ने उन्हें यह वरदान दिया था कि इस में सबसे पहले आपकी की पूजा की जाएगी।

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