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सांगा बाबा का मंदिर जयपुर के सांगानेर के बीच त्रिपोलिया गेट के करीब स्थित है। खास बात यह है कि आज भी इलाके के 27 गांव मिलकर हर रोज यहां पूजा करते हैं।

राजस्थान की पिंक सीटी कहा जाने वाला जयपुर शहर को लोग छोटी काशी के नाम से भी जानते हैं, क्योंकि प्रदेश का यह एक ऐसा जिला है जो प्राचीन मंदिरों और उनकी अनोखी मान्यताओं व इतिहास के लिए पूरी दुनिया में जाने जाते हैं। यहां ऐसे कई प्राचीन मंदिर जयपुर शहर की बसावट से पहले से स्थिपत किए हुए है।

इन्हीं प्राचीन मंदिरों में से एक है जयपुर के सांगानेर का 511 वर्ष पुराना सांगा बाबा का मंदिर, जो श्री सांगाजी महाराज के सबसे प्रमुख लोक देवता भौमियाजी के लिए प्रचलित है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि उन्होंने सांगानेर की स्थापना की थी। इस छोटे से मंदिर की मान्यता इतनी है कि इसमें मुख्यमंत्री आकर भी पूजा कर चुकें हैं साथ ही खास बात यह है कि आज भी इलाके के 27 गांव मिलकर हर रोज यहां पूजा करते हैं। बता दें कि यह मंदिर सांगानेर इलाके में सांगानेर के बीच त्रिपोलिया गेट के करीब बसा हुआ है। 

काबुल के युद्ध से जुड़ा है इतिहास  

सांगानेर इलाके के स्थानीय लोग और मंदिर के पुजारी सांगा बाबा के मुताबिक यहां जगह पर मंदिर से पहले बारहदरी थी। जब सांगाजी आमेर की तरफ से काबुल में युद्ध लड़ने गए तब उनका सर शरीर से अलग कर दिया गया था। लेकिन फिर भी वे अपने साहस से उस युद्ध में लड़ते रहे और वीरगति को प्राप्त हो गए। इनके बाद जब राजा मानसिंह प्रथम अकबर के सेनापति के रूप में काबुल में लड़ाई करने गए थे, तब युद्ध के समय मानसिंह ने सांगा बाबा ने भौमियाजी के स्वरूम में सहायता की थी।

जिसके बाद राजा मानसिंह काबुल से सांगा बाबा के नाम की ज्योत लेकर आए थे और सांगानेर बारहदरी में इनका मंदिर बनवाया था और भौमियाजी की मूर्ती की स्थापना करवाई थी। राजा मानसिंह सांगाजी के भाई राजा भारमल पृथ्वी राजोत के बेटे भगवन्तदास के पुत्र थे। सांगानेर में आज भी कंवर का बाग में सांगा बाबा की चरण समाधि स्थापित की गई है।

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