Sanwaliya temple: राजस्थान को सेठों का राज्य कहा जाता है। ऐसे में राजस्थान में सेठों के सेठ सांवलिया सेठ का मंदिर न हो, ऐसा हो ही नहीं सकता। हम बात कर रहे हैं सेठों के सेठ नाम से प्रसिद्ध चित्तौड़गढ़ के श्री सांवलिया मंदिर की। यह मंदिर राजस्थान के चित्तौड़गढ़ के मंडफिया में है। यह मंदिर मिलने वाले दान के कारण अक्सर सुर्खियों में रहता है।
श्रीकृष्ण की शरण में मिलेगा मोक्ष
कहा जाता है कि अगर कोई व्यक्ति भगवान कृष्ण की शरण में आता है, तो भगवान उसकी सारी समस्याएं खत्म कर देते हैं और अपने भक्तों को सही राह दिखाते हैं। इस मंदिर में आने वाले भक्तों की भी सभी समस्याएं दूर होती हैं। समस्याएं दूर होने के बाद भक्त काफी चढ़ावा भी चढ़ाते हैं।
मंदिर में मिलने वाले दान ने तोड़ दिया रिकॉर्ड
इस मंदिर के भक्त भी काफी अलग हैं, भक्तगण अपनी मनोकामना पूरी होने के बाद अनूठा चढ़ावा चढ़ाते हैं। यह मंदिर अक्सर अपने भंडार को कक्ष को लेकर सुर्खियों में रहता है। इस मंदिर के भंडार कक्ष में दान का काफी खजाना आता है। एक बार खजाने की राशि 19 करोड़ से ज्यादा रही, तो वहीं एक बार रिकॉर्ड तोड़ खजाना दान में आया था। इसे गिनने में 5 दिन का समय लगा था।
चढ़ावे में आया आधा किलो सोना और 88 किलो चांदी
इस दौरान उन्हें सोने-चांदी के आभूषण और करोड़ों रुपये आता है। इसमें ऑनलाइन और मनी ऑर्डर भी शामिल होते हैं। वहीं एक बार का रिकॉर्ड है कि जुलाई के महीने में भगवान को 19 करोड़ से ज्यादा रुपये, आधे किलो से ज्यादा सोना और 88 किलो से ज्यादा चांदी मिला था।
कैसे बना मंदिर
कहा जाता है कि भोलाराम नाम के गुर्जर के कहने पर बागुंड गाँव में जमीन खोदकर तीन मूर्तियां निकाली थी। इनमें से पहली मूर्ति मंडफिया, दूसरी मूर्ति भादसोडा और तीसरी मूर्ति को छापर में स्थापित किया गया। मंडफिया में बने मंदिर को ही सांवलिया नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि इस मंदिर में भगवान कृष्ण स्वयं विराजमान हैं।