Saraswati Temple Sirohi: राजस्थान के सिरोही जिले से 27 किलोमीटर दूर अजारी गांव के पास एक सरस्वती माता का मार्कंडेश्वरधाम मंदिर है, जिसके दर्शन के लिए भारत के कई अलग-अलग इलाकों से श्रद्धालु आते हैं और सरस्वती माता के दर्शन करते हैं। कहा जाता है कि इस मंदिर से कोई भी भक्त खाली हाथ लौटकर नहीं जाता है। क्योंकि इस मंदिर में कई महान विद्वानों ने सरस्वती माता की घोर तपस्या की थी। इसलिए इस जगह की मान्यता दूर-दूर तक फैली हुई है।
बता दें कि लोगों का मानना है कि इस मंदिर में कोई भी शिक्षा या किसी कला से सम्बधित नए कार्य को शुरू करने से पहले अगर यहां पूजा- अर्चना कर ली, तो वह अवश्य सफल होता है। वही यहां बच्चों के तोत्लेपन दूर करने के लिए चांदी की जीभ भी चढा़ई जाती है। मार्कंडेश्वरधाम मंदिर गुप्तकाल में निर्मित मंदिर है, जो कई सदियों से बुद्धि और ज्ञान का बल चाहने वाले भक्तों के लिए आस्था का केंद्र बना हुआ है।
इस मंदिर को लेकर लोगों का कहना है कि यहां प्राचीन समय में बालऋषि मार्कंडेय ने यमराज से बचने के लिए महामृत्युंजय का जाप किया था और इसी तपोस्थली पर महाकवि कालिदास ने भी ज्ञान प्राप्त की थी। इस मंदिर की मंदिर की मान्यता सदियों से है। यहां रह रोज सैकड़ों भक्त मां सरस्वती के दर्शन करने के लिए आते हैं, साथ ही कई मशहूर और नामी कलाकारों, कवियों और साहित्यकार भी यहां दर्शन के लिए सालों भर आते रहते हैं।
मन्नत पूरी होने पर चढाते हैं चांदी की जीभ
बता दें कि इस मंदिर में बसंत पंचमी के दिन विशेष पूजा का आयोजन की जाती है। जिसमें भक्तों बहुत भीड़ होती है। ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर में कोई श्रध्दालु सच्चे मन से कोई मन्नत मांगता है, तो वह अवश्य पूरा होता है। साथ कहा जाता है कि अगर किसी बच्चों को तुतलापन होता है, तो यहां मन्नत मांगने पर तुतलापर बंद हो जाता है। इसके बाद यहां प्रसाद के रूप में चांदी का जीभ चढ़ाया जाता है।