Shani Maharaj Aali Kapasan: राजस्थान अपने दर्शनीय मंदिर और ऐतिहासिक इमारतों के लिए जाना जाता है। राजस्थान का प्रत्येक मन्दिर अपनी अलग - अलग विशेषताओं और चमत्कारों के लिए जाना जाता है। इसी तरह एक मंदिर मेवाड़ (Mewar) के प्रसिद्ध शनि महाराज आली का मंदिर (Shani Maharaj Aali) है। जहां श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। मंदिर का निर्माण करीब 150 साल पहले किया गया था।
कहां है ये मंदिर?
ये मंदिर राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले के आली गाँव में शनि महाराज का मंदिर है। जो मेवाड़ समेत मारवाड़, मालवा जैसे क्षेत्रों में प्रमुख तीर्थ स्थान बन चुका है। यहां हर शनिवार और अमावस्या को दूरदराज से श्रद्धालु शनिदेव के दर्शन करने पहुंचते हैं। श्रद्धालु यहां पहुंचकर शनिदेव को तेल का चढ़ावा चढ़ाते हैं।
30 सालों में बन गए तीन बड़े तेल के कुंड
श्रद्धालुओं की संख्या का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 30 सालों में यहां तीन तेल के कुंड बनवाए जा चुके हैं। जिनमें से पहले कुंड का निर्माण 1995 में हुआ। इस कुंड की लंबाई 64 फीट चौड़ाई 23 फीट और गहराई 14 फीट है। दूसरे कुंड का निर्माण 2008 में हुआ और इस कुंड की लंबाई 65 फीट चौड़ाई 25 फीट और गहराई 18 फीट है। तीसरे कुंड का निर्माण 2015 में हुआ और इस कुंड की लंबाई 84 फीट चौड़ाई 50 फीट और गहराई 40 फीट है।
किस उपयोग में लाया जाता है तेल?
तेल कुंड के आधा से 1 किलोमीटर की परिधि में स्थित ट्यूबवेल और कुओं के पानी के साथ तेल की मात्रा भी आने लगी है। साथ ही यह भी हैरानी की बात है कि यहां चढ़ने वाले तेल पर चींटियां भी नहीं लगती। कुंड के तेल का उपयोग सिर्फ चर्म रोग के उपाय के लिए किया जाता है। कई बार इस प्राकृतिक तेल कुंड के तेल को व्यवसायिक उपयोग के लिए निकाला गया लेकिन तेल को कुंड से बाहर निकालते ही तेल के गुण ही खत्म हो जाते हैं, वो पानी जैसा हो जाता है। ऐसे कई प्रयास हुए लेकिन सफल नहीं हो पाए यह भी शनि देव का ही चमत्कार माना जाता है।