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Talvriksha Alwar : तालवृक्ष धाम अलवर जिले से करीब 42 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। पांड़वों ने अज्ञातवास के समय अपने हथियार इसी स्थान पर ऊंचे वृक्षों में छुपा दिए थे। पांडवों के इतिहास को मिटाने के औरंगजेब ने काफी प्रयास किए।

Talvriksha Alwar : राजस्थान के अलवर जिले से करीब 42 किलोमीटर दूर एक तालवृक्ष धाम है जो पौराणिक और ऐतिहासिक रूप से विशेष महत्व रखता है। पर्यटकों के लिए हमेशा से यह आकर्षण का केंद्र रहा है। ऋषि मुनियों से अनुसार इस स्थान पर ताल और खजूर के कई पेड़ थे। इसी कारण से इस जगह को तालवृक्ष कहा जाने लगा। इस स्थान का वर्णन महाभारत भी किया गया है। माना जाता है कि महाभारत काल में जब पांडवों को अज्ञातवास का आदेश सुनाया गया था, तब उन्होंने अपने हथियार इसी स्थान पर तालवृक्ष के विशाल और ऊंचे वृक्षों में छुपा दिए थे। इसके बाद विराटनगर में भेष बदलकर विराट नरेश के राज्य में रहने लगे थे।

सात फीट ऊंची भूतेश्वर महादेव का शिवलिंग

तालवृक्ष में आपको भूतेश्वर महादेव का 7 फीट ऊंचा शिवलिंग दिखाई देगा। भूतेश्वर महादेव को अर्जुन का अराध्य देव भी माना जाता है। यहां आपको भगवान शंकर के भूतेश्वर अवतार का सात फीट उंचा एक शिवलिंग दिखाई देगा। इसकी खास बात यह है कि मंदिर के गुम्बद में आपको कई देवी देवताओं की खंडित मूर्तियां दिखाई देंगी।

औरंगजेब ने इतिहास को मिटाने के किए प्रयास

महाभारत और पांडवों के इतिहास को मिटाने के मुगल काल में काफी प्रयास किए गए। लेकिन वह इसमें सफल नहीं हो सके। ऐसा बताया जाता है कि मुगल शासक औरंगजेब और मोहम्मद गजनवी ने इन्हें तोड़ने के फरमान जारी किए थे। इसके बावजूद महाभारत और तालवृक्ष से जुड़े इतिहास को मिटा नहीं सके। लेकिन देवी-देवताओं की मूर्तियों को जरूर खंडित कर दिया। 

मां गंगा का मंदिर

तालवृक्ष में शिव मंदिर के साथ-साथ आपको गंगा मंदिर के भी दर्शन करने को मिलेगें। इस मंदिर की स्थापना आमेर नरेश रामङ्क्षसह के शासन काल में बाबा पूर्ण दास द्वारा कराई गई थी। 

गर्म-ठण्डे पानी के अनोखे कुंड

तालवृक्ष में मंदिरों के अलावा आकर्षक गर्म और ठंडे पानी के अनोखे कुण्ड भी हैं। कहा जाता है कि नारायणपुर के महाराज रामङ्क्षसह ने इन कुंड़ों को बनवाया था। ऐसी मान्यता है कि गर्म पानी के कुण्ड में नहाने से चर्म रोग की बीमारी दूर होती है। इस जगह आपको मुगल शैली में बनी हुई राजपूतकालीन छतरियां भी दिखाई देंगी।

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