Tanot Mata Temple: राजस्थान के जैसलमेर में भारत-पाक बॉर्डर पर दिन-रात देश के फोजी हमारी रक्षा कर रहे हैं। लेकिन क्या आपको मालूम है कि यहां एक माता का अनोखा मंदिर है, जो कई वर्षों से हमारे फौजियों की रक्षा कर रहा है। हम बात कर रहे हैं जैसलमेर से लगभग 120 किमी की दूरी पर पाक सीमा के पास स्थित माता तनोट मंदिर की। इस मंदिर की कई ऐसी खास बातें है जो आप चौंका देंगी जैसे यहां पुजारी नहीं बल्कि बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स यानि बीएसएफ के जवान ही सुबह-शाम माता की आरती करते हैं।
मंदिर से जुड़ी कथा
पौराणिक कथा के मुताबिक कई साल पहले मामड़िया चारण नामक एक व्यक्ति था, जिसके कोई संतान नहीं थी। संतान की इच्छा में उसने 7000 किमी दूर हिंगलाज माता की पैदल यात्रा शुरू कर दी थी। इसके बाद माता ने उसके स्वप्न में आकर उससे पूछा कि उसको आखिर बेटा चाहिए या बेटी जिसके जवाब में उसने माता से कहा कि वे ही उसकी संतान के रूप में आ जाए। माता की कृपा से उसके घर में सात पुत्रियों और एक पुत्र ने जन्म लिया। इन कन्याओं में से एक आवड मां थी, जिनको सभी लोग तनोट माता के नाम से पूजते थे।
तनोट माता मंदिर का इतिहास
तनोट माता को देवी हिंगलाज का ही एक रूप माना जाता है, जो बलूचिस्तान के लासवेला जिले में स्थित है। इस मंदिर का निर्माण 847 ई. में स्थापित किया गया था। भाटी राजपूतों की पीढ़ियों ने इस मंदिर में पूजा-अर्चना की थी। सन 1965 में जब भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ था तब तनोट के उपर कापी गोलाबारी और हमले किए गए थे। ऐसा कहा जाता है कि कई हमलों के बावजूद इस मंदिर पर कोई आंच नहीं आई यहां तक की किसी भी गोले या बंदूक का असर मंदिर पर नहीं हुआ था। जानकारी के अनुसार 3000 से ज्यादा बम इस मंदिर के आस-पास गिराए गए थे, लेकिन एक भी विस्फोट का असर नहीं हुआ था।