Thakur Churaman Fort: शाही राज्य राजस्थान के भरतपुर में स्थित एक ऐसा किला, जो अब पुराने खंडहर में तब्दील हो गया है। इस किले का इतिहास यह दर्शाता है कि यहीं पर औरंगजेब के नाक में दम कर दिया गया था। इस किले की कुछ ऐसी मान्यताएं हैं, जिसको सुनने के बाद आपका दिमाग हिल जाएगा। इस प्राचीन किले में स्थित पत्थर को आज भी किसी भी कार्य के लिए प्रयोग में नहीं लाया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि जब किसी ने इसका उपयोग करने को चाहा, तब उस व्यक्ति को भारी संकट का सामना करना पड़ा है। यहां के स्टोन का इस्तेमाल करने वाले का परिवार संकट से जूझने लगता है या उसका मकान नष्ट हो जाता है।
औरंगजेब को ठाकुर चूड़ामन ने किया था निस्तानाबूत
इस विशाल किले की इतिहास पर एक नजर डालें, तो इसका निर्माण 16वीं शताब्दी में करवाया गया था, जो भरतपुर जिले के थून जटौली गांव में बना हुआ है। इस किले का निर्माण ठाकुर चूड़ामन सिंह द्वारा किया गया था। यहां की कहानियों में यह जिक्र किया जाता है कि जब औरंगजेब की तानाशाही पूरे देश में थी और मंदिरों को धराशाई किया जा रहा था, उस समय ठाकुर ने ही औरंगजेबों के नाक में दम कर दिया था। चूड़ामन सिंह के बाद उनके भतीजे बदन सिंह की यहां पर ताजपोशी हुई। बदन सिंह के पुत्र महाराजा सूरजमल ने साल 1733 में भरतपुर किले की स्थापना करवाई।
ठाकुर ने किया था विशाल कुएं का निर्माण
इस जगह को लेकर यह बताया जाता है कि एक साधु और ठाकुर चूड़ामन के बीच कुआं बनाने का होड़ शुरू हुआ था, जिसमें ठाकुर ने पहले यहां कुएं का निर्माण करवाया। यह कुआं यहां के लोगों की प्यास बुझाने वाली थी। यह कुआं इतना गहरा है कि आज तक किसी ने इसकी गहराई को नहीं नापा। इसका गहराई नापने में सभी फेल हो गए। साथ ही, कुएं की चौड़ाई भी काफी ज्यादा है। इस कुएं में झांकने के बाद नीचे का मंजर डरावना लगता है। इसके इतिहास को लेकर यह बताया जाता है कि ठाकुर ने इसे खोदने के लिए तोप का उपयोग किया था। आज भी इसका पानी नहीं सूखा है।