Garh Ganesh Temple: किसी भी कार्य की करने शुरुआत से पहले जिस भगवान को याद किया जाता है, जिनकी पूजा अर्चना की जाती है, वह एक मात्र भगवान गणेश है। भगवान गणेश को ही प्रथम आराध्या भी कहा जाता है। जब भी कोई व्यक्ति अपने जीवन में कोई शुभ कार्य करता है या करने जाता है तो भगवान गणेश की आराधना करता है। भगवान गणेश की पूजा का सबसे बड़ा मान्यता के तौर पर देखा जाए तो महाराष्ट्र के लालबागचा राजा को याद किया जाता है। वैसे ही राजस्थान में भी भगवान गणेश की कई छोटी बड़ी मंदिर है। लेकिन राजस्थान के जयपुर में भगवान गणेश की एक अद्भुत आकृति की मूर्ति स्थापित है जिन्हें गढ़ गणेश कहा जाता है।
कहां स्थित है यह मंदिर?
पिंक सिटी जयपुर की कई खासियत है और यह शहर अपनी कई खूबियों की वजह से भी जानी जाती है। बता दें कि जयपुर के अरावली पर्वत पर स्थित देश का पहला भगवान गणेश की ऐसी मूर्ति है, जो बिना सूंड के स्थापित है। इस मंदिर की मान्यता इतनी प्रमुख है। कि यहां भक्त दूर-दूर से गढ़ गणेश की पूजा और उनके दर्शन करने आते हैं।
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किसने करवाई इस मंदिर की स्थापना?
बताया जाता है कि गुजरात से पंडितों को बुलवाकर 18वीं शताब्दी में सवाई जयसिंह ने जयपुर की स्थापना की थी और अश्वमेध यज्ञ करवाया था। इस यज्ञ के बाद सवाई जयसिंह ने गढ़ गणेश मंदिर की स्थापना की थी। जिसके बाद जयपुर शहर की नींव रखी गई थी। इस मंदिर की खास बात यह है कि भगवान गणेश की प्रतिमा की स्थापना उत्तर दिशा की ओर की गई है, जिससे कि भगवान श्री गणेश की कृपा जयपुर शहर पर बनी रहें।
मंदिर में फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी पर पाबंदी
भगवान गढ़ गणेश के दर्शन के लिए यहां पर भक्तों की भीड़ लगती है। कड़ी मशक्कत के बाद भक्त भगवान गणेश का दर्शन कर पाते हैं। वही इस मंदिर में फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी पर पाबंदी है। क्योंकि यह मंदिर अरावली पर्वत पर स्थापित है जिस वजह से भगवान गणेश के दर्शन करने में भक्तों को लंबी दूरी मात्रा सीढ़ियों से तय करनी पड़ती है। जिसमें लगभग 500 फिट की ऊंचाई पर 365 सीढ़ियां चढ़ कर मंदिर तक जाना पड़ता है।