Tilswa Mahadev Temple: देश में भगवान शिव के कई प्राचीन और अनोखे मंदिर स्थित है, इनमें से एक मंदिर राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के बिजोलिया क्षेत्र में मौजूद है। तिलस्वा महादेव मंदिर में रोजाना हजारों की भीड़ भोलेनाथ के दर्शन करने के लिए यहां पहुंचती है। इस मंदिर की खास बात यह है कि यहां स्वयंभू शिवलिंग है, जो एक तिल के बराबर है। भक्त अपने परिवार की सुख शांति की कामना करते है।
इस नदी के किनारे बना हुआ है मंदिर
यह मंदिर बिजौलियां उपखंड में अरावली पर्वत श्रृंखला के बीचों-बीच ऐरू नदी के पास बना हुआ है, यहां हर दिन भोले बाबा की आस्था में डूबे भक्तों का तांता लगा रहता है। माना जाता है इस मंदिर में जो भी इंसान पूजा करता है और मंदिर के सामने स्थित कुंड में स्नान करता है व उसकी मिट्टी अपने माथे पर लगाता है कैंसर से लेकर चर्म रोग की सभी बीमारियां खत्म हो जाती है।
सदियों पुराना मंदिर
तिलस्वां महादेव मंदिर की स्थापना 10 वीं से 12 वीं सदी के बीच राजा हवन ने की थी। राजा हवन द्वारा बिजोलिया क्षेत्र में ऊपर माल क्षेत्र नाम से 12 मंदाकिनीय बनाई गई थी, उसमें से एक प्रमुख मंदाकनी तिलस्वां महादेव मंदिर के नाम से प्रसिद्ध हुई।
यहां सावन महीने और शिवरात्री के दिन भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है, इसके साथ ही कैंसर या और किसी रोग से ग्रसित व्यक्ति भगवान शिव को न्यायाधिपति मानते हुए मंदिर परिसर में कैदी के रूप में रहता है और कई दिनों तक प्रतिदिन मंदिर के पवित्र कुंड में स्नान कर भगवान शिव की पूजा करता है।
एक तिल के बराबर है शिवलिंग
तिलस्वां महादेव मंदिर में स्थित शिवलिंग एक तिल के बराबर है। इस तिल के समान शिवलिंग का धार्मिक महत्व बहुत बड़ा है। कुछ लोग यहां रोग मिटाने के लिए दर्शन करने आते है तो वहीं सावन के माह में बालिकाएं और युवतियां अच्छे पति की कामना से भगवान शिव के दर्शन करने यहां आती है।
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