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Lakshminath Temple of Jhunjhunu : 106 साल से इस मन्दिर में बारिश का पानी सहेजा जा रहा है। इस मंदिर में पुरानी जल संरक्षण का तरीका सदियों से आज के इस आधुनिक युग में जीवित है।

Lakshminath Temple Of Jhunjhunu : राजस्थान अपने थार रेगिस्तान के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध है. यहां का वातावरण हमेशा शुष्क रहता है और बारिश की उपलब्धता कम होने के कारण पानी की समस्या हमेशा बनी रहती है। यहां सदियों से जल संरक्षण की व्यवस्था देखी जा सकती है मंदिर में भी इसका अनूठा उदाहरण देखने को मिल जाता है। राजस्थान के झुंझुनूं में लक्ष्मीनाथ मन्दिर है। जहां जल संरक्षण देखने को मिलता है।106 साल से इस मन्दिर में बारिश का पानी सहेजा जा रहा है और इसी सहेजे गए पानी से भगवान का भोग लगाया जाता है। झुंझुनूं में होने वाले धार्मिक आयोजन में भी यही से पानी जाता है। 

मंदिर में सुबह भगवान को स्नान कराया जाता है। संध्या आरती तक के सभी परंपरा में कुंड के पानी का उपयोग किया जाता है.इस मंदिर में पुरानी जल संरक्षण का तरीका सदियों से आज के इस आधुनिक युग में जीवित है।

बारिश के जल से चढ़ता है भगवान का भोग

झुंझुनूं में स्थित 106 साल पुरानी लक्ष्मी नाथ मंदिर में बरसात के पानी से भोग लगाने की परंपरा है। बारिश के समय जो पानी छत से टपकता है नालों से होते हुए मंदिर के नीचे बनाए गए कुंड में इकट्ठा किया जाता है। इसका उपयोग भगवान के भोग और स्नान करने में इस्तेमाल किया जाता है। 

मंदिर में 20000 लीटर क्षमता वाले भूमिगत कुंड 

मंदिर को बनने में करीब 4 साल लगा। 20000 लीटर क्षमता वाले भूमिगत कुंड कभी बनाया गया। जो आज भी बारिश के पानी को एकत्रित किए हुए हैं। इस पानी का इस्तेमाल केवल धार्मिक कार्यों के लिए ही किया जाता है। 

दिन में सात बार लगती है भोग

लक्ष्मीनाथ मंदिर में दिन में सात बार पूजा अर्चना और सात बार भोग कुंड के पानी से लगाया जाता है। मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं को इसी कुंड के पानी से पंचामृत भी दिया जाता है। झुनझुन मैं जहां भी धार्मिक आयोजन होता है इसी कुंड का पानी ले जाया जाता है। भगवान की स्नान से ही दिन की शुरुआत होती है।

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