Paralympic Gold Medalist: भारत की टॉप पैरा-शूटर में से एक अवनी लखेरा राजस्थान की राजधानी जयपुर से हैं। अवनी लखेरा की कहानी दृढ़ता, संघर्ष और सफलता की मिसाल है, जो यह दर्शाता है कि कठिन परिस्थितियों के बावजूद भी मेहनत और आत्मविश्वास से किसी भी लक्ष्य को आसानी से प्राप्त किया जा सकता है। टोक्यो पैरालंपिक में उन्होंने इसी कारण सफलता पाई और उनकी सफलता ने उन्हें देशभर में प्रसिद्धि दिलाई, और वे युवा खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा स्रोत बन गईं।
संकल्प और आत्मविश्वास ने दिलाई जीत
अवनी खेरा का जन्म राजस्थान के जयपुर में 8 नवंबर 2001 को हुआ था। 2012 में उनके साथ एक कार दुर्घटना हुई थी, जिससे उनकी रीड की हड्डी में चोट आई थी, जिस कारण उन्हें व्हीलचेयर पर निर्भर होना पड़ा। किंतु अपने दृढ़ संकल्प और आत्मविश्वास के साथ उन्होंने शूटिंग में करियर बनाने का निर्णय लिया। उनकी इस प्रेरणा का स्रोत 2008 बीजिंग ओलंपिक में भारतीय शूटर अभिनव बिंद्रा की सफलता थी। अपने कोच संदीप के मार्गदर्शन में अवनी लखेरा ने बहुत मेहनत की और राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई मेडल जीते।
दो लगातार पैरालंपिक और दो लगातार गोल्ड मेडल
अवनी लखेरा भारत की एक प्रमुख पैरा-शूटर हैं, जिन्होंने टोक्यो पैरालंपिक गेम्स 2020 में गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रच दिया था। उन्होंने महिलाओं की 10 मीटर एयर राइफल स्टैंडिंग इवेंट में यह उपलब्धि हासिल की थी और पैरालंपिक खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली महिला बनी थीं। इसके पश्चात 2024 के पेरिस पैरालंपिक गेम्स में उन्होंने अपनी मेडल को डिफेंड किया और लगातार 2 गोल्ड मेडल जीतकर अपना नाम इतिहास में दर्ज कर लिया।
मिले कई पुरस्कार
उनको अपनी इन उपलब्धियों के लिए विभिन्न पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है, जिनमें से दो प्रमुख हैं:
1. मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार: 2021 में टोक्यो पैरालंपिक में गोल्ड मेडल जीतने के पश्चात इन्हें मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार प्रदान किया गया।
2. पद्मश्री: 2022 में खेल के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए भारत सरकार द्वारा इन्हें चौथा सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्मश्री प्रदान किया गया।
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