Bhangarh Fort Tourism: भानगढ़ किला अरावली की पहाड़ियों के बीच हरयाली के साथ के साथ स्थित है। भानगढ़ का किला जयपुर और अलवर शहर के बीच सरिस्का अभयारण्य से 50 किलोमीटर दूर स्थित है। किले का निर्माण 17वीं शताब्दी में अंबर के मुगल सेनापति मान सिंह के छोटे भाई राजा माधो सिंह द्वारा करवाया गया था। 1720 तक भानगढ़ में 9,000 से अधिक मकान बनें हुए थे, जिसके बाद धीरे-धीरे इसकी आबादी कम हो गई।
भानगढ़ किले के आसपास है शांत वातावरण
भानगढ़ किले के आसपास भव्य हवेलियों, मंदिरों और सुनसान बाजारों के सबूत मिलते हैं। भानगढ़ किला एक प्रेतवाधित किला माना जाता है, जो अरावली पर्वत की हरयाली से घिरा है। भानगढ़ किला अपने शांत वातावरण और वास्तुकला के चमत्कारों से पर्यटकों की भीड़ को अपनी ओर आकर्षित करता है।
मुख्य द्वार पर है कई मंदिर
भानगढ़ किले में मौजूद महल, हवेली और मंदिर अब पूरी तरह से खंडहर बन चुके हैं, जो वहां की दशा को बताती है। इस किले में प्रवेश के लिए मुख्य द्वार के साथ लाहौरी गेट, अजमेरी गेट, फूलबाड़ी गेट और दिल्ली गेट भी शामिल है। किले के मुख्य प्रवेश द्वार पर कई हिंदू देवी देवताओ के मंदिर हैं, जिसमें सोमेश्वर मंदिर, केशव राय मंदिर, गोपीनाथ मंदिर, गणेश मंदिर और मंगला देवी के मंदिर हैं।
इन मंदिरों की वास्तुकला और कारीगरी 17वीं शताब्दी का अनोखे उदाहरण हैं। ये सभी मंदिर वास्तुकला की नागर शैली में हैं। गोपीनाथ मंदिर जो 14 फीट ऊंचे चबूतरे के ऊपर पत्थरों पर बेहतरीन नक्काशी द्वारा बनाया गया है। मंदिर परिसर में मुख्य पुजारी का स्थान है, जिसे पुरोहित जी की हवेली के नाम से जाना जाता है।
किले में थी नर्तकियों की हवेली
किले में नर्तकियों की हवेली थी, जो नृत्य करने वाली लड़कियों का स्थान था। इसके अलावा किले की सीमा के अंत में शाही महल के खंडहरों के साथ बाजार भी है। कहा जाता है कि शाही महल उस समय 7 मंजिल का था, जो अब केवल चार मंजिल का ही रह गया है।
भानगढ़ का शापित इतिहास
भानगढ़ किला देश के सबसे डरावने स्थानों में से एक है, जिसका अपना एक इतिहास है। इस किले को लोग शापित मानते हैं। भानगढ़ किले कि दो प्रचलित कहानियां हैं, जो लोगों द्वारा आज भी सुनाई जाती है। उनमें एक कहानी ये है कि एक साधु जिन्हें बाबा बलाऊ नाथ नाम से जानते थे।
भानगढ़ में बनने से पहले ये क्षेत्र बाबा बलाऊ नाथ का ध्यान स्थान था। इसलिए किले के निर्माण की अनुमति के लिए उन्होनें एक बात कही थी। उन्होंने कहा कि किला या उसके अंदर की कोई भी इमारत उनके घर से ऊंची नहीं होनी चाहिए और यदि ऐसा नहीं करते हैं, तो इसका परिणाम यह होगा कि किला उजड़ जाएगा।
अजब सिंह ने बाबा की बात को किया नजरअंदाज
कई लोग ये कहते हैं कि माधो सिंह के पोते अजब सिंह ने इस बात को नजरअंदाज कर दिया और किले की ऊंचाई बहुत बढ़ा दी, जिससे साधु के घर पर छाया पड़ी, जिससे उस किले के साथ आस- पास के गांव भी उजड़ गये।
भानगढ़ से जुड़ी एक ये भी कहानी हैं की राजकुमारी रत्नावती जो बहुत सुंदर थी और देश के शाही खानदानों से उसके लिए कई प्रस्ताव आते थे।
किले को लेकर सुनाई जाती है एक और कहानी
वहीं काले जादू में माहिर तांत्रिक को राजकुमारी से प्यार हो गया। एक दिन जब राजकुमारी अपनी सहेलियों के साथ खरीदारी करने गई, तो तांत्रिक ने उसके इत्र को प्रेम औषधि से बदल दिया। लेकिन राजकुमारी को तांत्रिक की चाल का पता चल गया और उसने औषधि को एक पत्थर पर फेंक दिया। जिससे उसके जादू का असर होने पर चट्टान से तांत्रिक की कुचलकर मृत्यु हो गई।
मुगल सेना ने रत्नावती का किया था कत्ल
मरने से पहले उसने श्राप दिया कि भानगढ़ और इसके आस- पास के गांव जल्द ही उजड़ जाएगें और इसमें कभी किसी इंसान का बसाव नहीं होगा। इसके बाद मुगल सेना ने इस किले पर कब्जा कर लिया और राजकुमारी रत्नावती सहित किले के सभी निवासियों को मार डाला। भानगढ़ किले को अभी भी डरावना स्थान माना जाता है। इसलिए सूर्योदय से पहले और सूर्यास्त के बाद यहां प्रवेश करना सख्त मना है।
किले का टिकट प्राइस और समय
भानगढ़ किला खंडहर हो चुका है, फिर भी सुंदर दिखता है क्योंकि यह शांत और हरे-भरे वातावरण के बीच में स्थित है। अगर आप भी इस किले को घूमने का इच्छा रखते हैं, तो इसे सुबह 10 बजे के बाद व शाम 5 बजे से पहले इसमे घूमने आ सकते हैं। भानगढ़ किले में प्रवेश पाने के लिए टिकट लगता है, अगर आप भारतीय हैं तो आपके लिए टिकट प्राइस 40 रुपये होगा, इसके अलावा अगर आप विदेशी हैं, तो आपके लिए टिकट प्राइस रुपये होगा।
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