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Keoladeo National park- केवलादेव नेशनल पार्क राजस्थान का एक ऐसा नेशनल पार्क है जिसे राष्ट्रीय उद्यान से ज्यादा पक्षी विहार के रूप में जाना जाता है। आईए जानते हैं इसकी खासियत।

Keoladeo National park - केवलादेव नेशनल पार्क 28 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ एक वन क्षेत्र है, जो भारत के वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स में शामिल है। केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान वैसे तो एक नेशनल पार्क है, किंतु इसे पक्षी विहार के तौर पर ज्यादा जाना जाता है। राजस्थान के भरतपुर में स्थित होने के कारण इसे भरतपुर पक्षी विहार भी कहा जाता है। यह पक्षी विहार अपने यहां आने वाले साइबेरियन पक्षियों के लिए प्रसिद्ध है, जो सर्दियों में माइग्रेट करके भारत आती हैं। यह नेशनल पार्क उन पक्षियों के लिए प्रसिद्ध है, जो या तो लुप्तप्राय हैं या दुर्लभ रूप से देखे जाते हैं। इस पक्षी विहार को 1982 में नेशनल पार्क का दर्जा दिया गया।

क्या है खास?

केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान को भारत के प्रमुख पक्षी विहारों में गिना जाता है। यहां लगभग पक्षियों की 350 से अधिक प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख साइबेरियन सारस, रेड-हेडेड डक और घोमरा हैं। पक्षियों के अलावा अगर बात की जाए यहां पाए जाने वाले अन्य जीवों की, तो यहां स्तनधारियों की लगभग 36 प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें चीतल, सांभर, नीलगाय, धारीदार लकड़बग्घा आदि शामिल हैं।

इस नेशनल पार्क में कदंब, जामुन, बबूल आदि के पेड़ प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं, इसलिए ये पेड़ आपको वहां आसानी से देखने को मिल जाएंगे। अगर मैं बात करूं जलीय वनस्पतियों की, तो यहां लोटस, वॉटर फर्न और वाटर लिली मुख्य रूप से पाए जाते हैं।

कैसे पहुंचे?

अगर हम बात करें कि हम यहां कैसे पहुंच सकते हैं, तो केवलादेव नेशनल पार्क उत्तर भारत के प्रमुख शहर जैसे दिल्ली, चंडीगढ़, लखनऊ और जयपुर से सड़क और रेल मार्ग द्वारा आसानी से जुड़ा हुआ है। अगर हम बात करें कि हवाई मार्ग द्वारा कैसे पहुंच सकते हैं, तो यहां का निकटतम हवाई अड्डा 56 किलोमीटर दूर आगरा में है। आगरा भारत के प्रमुख शहरों जैसे मुंबई, दिल्ली, बेंगलुरु, चेन्नई, कोलकाता आदि से हवाई मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है।

घूमने के लिए सबसे बेहतरीन सीजन

वैसे यह राष्ट्रीय उद्यान साल के 12 महीने खुला रहता है, लेकिन जैसा कि हम बात कर चुके हैं कि यह राष्ट्रीय उद्यान अपने यहां आने वाले माइग्रेटरी बर्ड्स के लिए फेमस है, तो ज्यादातर पर्यटक उन्हीं पक्षियों को देखने के लिए आते हैं। ये पक्षी अक्टूबर से फरवरी के बीच साइबेरिया से माइग्रेट करके यहां आते हैं। यदि आप इन्हें देखने के लिए आना चाह रहे हैं, तो आप इस समय आ सकते हैं।

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