Rajasthan Tourism: राजस्थान भारत का एक ऐसा राज्य है, जो न सिर्फ ऐतिहासिक दृष्टिकोण से संपन्न है, बल्कि सांस्कृतिक संपन्नता भी यहां भली-भांति देखी जा सकती है। इस राज्य में आपको एक से एक ऐतिहासिक धरोहर, प्राकृतिक नजारे और सांस्कृतिक दृश्य देखने को मिल जाएंगे।
यही बात इस राज्य को सबसे अधिक संपन्न बनाती है। राजस्थान न तो किसी ऊंचे पहाड़ी इलाके में स्थित है और न ही किसी समुद्री इलाके में। फिर भी यह राज्य पर्यटन के मामले में भारत के सबसे समृद्ध राज्यों की सूची में आता है। आइए जानते हैं राजस्थान के उन प्रमुख पर्यटन स्थलों के बारे में, जो राजस्थान के अजूबे कहलाते हैं।
चित्तौड़गढ़ का किला
चित्तौड़गढ़ राजस्थान का एक ऐसा स्थान है, जिसका नाम भारतीय इतिहास में गर्व के साथ लिया जाता है। चित्तौड़गढ़ के बारे में कहा जाता है कि गढ़ तो सिर्फ चित्तौड़गढ़ है, बाकी सब गढ़ैया हैं। यह भारत का सबसे बड़ा दुर्ग है और इसे सातवीं शताब्दी में मौर्य वंश के शासक चित्रांगदा मौर्य द्वारा बनवाया गया था।
यह किला मेवाड़ की राजधानी हुआ करता था। इस किले को वर्ष 2013 में यूनेस्को ने वर्ल्ड हेरिटेज साइट की सूची में शामिल किया। इस किले में कुल 65 ऐतिहासिक संरचनाएं हैं, जिनमें 19 बड़े मन्दिर, 20 बड़े जल निकाय, चार स्मारक, चार महल और कुछ विजय मीनारें शामिल हैं। राजश्री ठाठ-बाट को दर्शाता यह विशाल किला राजस्थान के गौरवशाली इतिहास का एक नायाब नमूना है।
कुंभलगढ़
कुंभलगढ़ का किला भारत के सबसे विशाल किलों में से एक है। इसकी विशालता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि चीन की दीवार के पश्चात कुंभलगढ़ किले की दीवार दुनिया की दूसरी सबसे लंबी दीवार मानी जाती है। कुंभलगढ़ किला राजस्थान के राजसमंद जिले में स्थित है।
इस किले की दीवार 36 किलोमीटर लंबी और 21 फुट चौड़ी है, वहीं इसकी ऊंचाई 3568 फीट है। इस किले का निर्माण राणा कुंभा ने 1459 ईस्वी में करवाया था। महाराणा प्रताप ने हल्दीघाटी के युद्ध के समय इसी दुर्ग में अपना काफी समय बिताया था।
जयपुर का जंतर मंतर
राजस्थान की राजधानी जयपुर में स्थित जंतर मंतर भारत के इतिहास की महानता का एक जीवंत उदाहरण है। यह एक खगोलीय वेधशाला है, जिसका निर्माण सवाई जयसिंह द्वारा करवाया गया था। सवाई जयसिंह ने खगोलीय घटनाओं को समझने, समय मापने और ग्रह-नक्षत्र की स्थिति को समझने के लिए जयपुर, दिल्ली, उज्जैन और बनारस में ऐसी वेधशालाओं का निर्माण करवाया था।
हालांकि आज के समय में केवल दिल्ली और जयपुर के जंतर मंतर ही सुरक्षित रह गए हैं। इसमें सम्राट यंत्र नाम की एक सूर्य घड़ी है, जो आज भी सटीक समय बताती है। जंतर मंतर को देखकर यह समझा जा सकता है कि भारत में खगोलीय घटनाओं के प्रति बहुत पहले से ही जागरूकता रही है।
आमेर किला
आमेर का किला राजस्थान के जयपुर से 11 किलोमीटर दूर स्थित एक भव्य किला है। यह विशुद्ध हिंदू वास्तुकला का ऐसा उदाहरण है, जिसे 2013 में वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स की सूची में शामिल किया गया। इस किले का निर्माण लाल बलुआ पत्थर और संगमरमर से करवाया गया है।
बताया जाता है कि इस किले का नाम इसके नजदीक स्थित अंबिकेश्वर मंदिर के नाम पर पड़ा है। इस किले से नीचे देखने पर मावठा झील दिखाई देती है, जो इसकी जल आपूर्ति का प्रमुख स्रोत है। इस दुर्ग का निर्माण राजपूत राजा मानसिंह द्वारा करवाया गया था। यह राजस्थान के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है।
हवा महल
जयपुर का हवा महल दुनिया के सबसे अद्भुत और अजूबे निर्माण कार्यों का नमूना है। यह दुनिया का सबसे ऊंचा भवन है, जिसकी स्थापना बिना नींव के की गई है। इसका निर्माण सवाई मानसिंह ने करवाया था। उन्होंने इसके निर्माण के समय इसकी संरचना का विशेष ख्याल रखा था। उनकी इच्छा थी कि यह भवन बाहर से देखने पर भगवान श्रीकृष्ण के मुकुट के समान दिखे।
हवा महल में कुल 953 छोटे-छोटे झरोखे हैं, जिनके कारण यह महल काफी हवादार है। इन झरोखों से महल की महिलाएं गली में होने वाले समारोहों का आनंद लिया करती थीं। आज यह राजस्थान के सबसे प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों की सूची में शीर्ष पर आता है।
जैसलमेर का किला
जैसलमेर का किला राजस्थान का दूसरा सबसे पुराना किला माना जाता है। इस किले का निर्माण लगभग 1155 ईस्वी में तत्कालीन सम्राट रावल जैसल द्वारा करवाया गया था। इसे स्वर्ण किला भी कहा जाता है। यह किला 1500 फीट लंबा और 750 फीट चौड़ा है। जून 2013 में, इस किले को आमेर फोर्ट, रणथंभौर फोर्ट, कुंभलगढ़ फोर्ट, गागरोन फोर्ट और चित्तौड़ फोर्ट के साथ वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स की सूची में शामिल किया गया। यह किला दुनिया के सबसे बड़े किलों में से एक है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि जैसलमेर के अधिकतर लोग इस किले के अंदर ही रहते हैं।
मेहरानगढ़ का किला
मेहरानगढ़ का किला राजस्थान के जोधपुर जिले में स्थित है और भारत के सबसे बड़े किलों में से एक माना जाता है। इसकी स्थापना 1459 ईस्वी में की गई थी। यह किला 410 फीट ऊंची पहाड़ी पर स्थित है। बताया जाता है कि इस किले का निर्माण राठौड़ शासक राव जोधा ने अपनी राजधानी स्थानांतरित करने के लिए करवाया था। इस किले का नाम सूर्य देव के नाम पर रखा गया, क्योंकि राठौड़ शासकों द्वारा सूर्य की उपासना की जाती थी।
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