Biodiversity in Rajasthan- राजस्थान एक ऐसा राज्य है जहां की जलवायु दो हिस्सों में बटी हुई है यह जहां एक और अत्यधिक शुष्क मरुस्थल पाए जाते हैं वहीं दूसरी ओर अरावली की पहाड़ियां है ऐसे में यहां जैव विविधता भी बहुत अधिक मात्रा में देखने को मिलती है चाहे वह पेड़ पौधों की प्रजातियां की बात हो या फिर पशु पक्षियों की अलग-अलग प्रजातियों के यहां हर मामले में आपको बहुत अधिक विविधता देखने को मिलेगी राजस्थान की यही जैव विविधता इसे भारत के अन्य राज्यों से अलग बनाती है।
थार रेगिस्तान के प्रमुख वनस्पतियाँ
खेजड़ी
राजस्थान का राजकीय वृक्ष खेजड़ी एक मरुस्थलीय वृक्ष है जो सुखा प्रतिरोधी होता है। इस वृक्ष को राजस्थान में शमी के नाम से भी जाना जाता है। इस वृक्ष का वैज्ञानिक नाम प्रोसोपिस सिनेरिया है। इस पेड़ के फल को सांगरी कहते हैं, जिसकी सब्जी राजस्थान में काफी प्रसिद्ध है। खेजड़ी का पेड़ गर्मी के दिनों में भी कहीं हरा-भरा रहता है। इस पेड़ के नीचे अनाज की अच्छी पैदावार होती है।
बबूल
बबूल एक रेगिस्तानी वनस्पति है जिसे देसी भाषा में कीकर भी कहा जाता है। यह पेड़ अफ्रीका और भारतीय उपमहाद्वीप में पाया जाता है, जिसका वैज्ञानिक नाम आकास्या नीलोतिका है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण में इस पेड़ का गोंद उत्तम कोटि का होता है। यह गोंद औषधीय गुणों से भरपूर होता है और इसका उपयोग सैकड़ों रोगों के उपचार में किया जाता है।
कैक्टस
नागफनी राजस्थान के मरुस्थलीय भाग में पाए जाने वाला एक रेगिस्तानी पौधा है, जो पानी का अच्छा स्रोत माना जाता है। यह अपने मोटे फुले हुए तने में पानी बटोरकर शुष्क और रेगिस्तानी परिस्थितियों में भी जीवित रहने के लिए जाना जाता है। नागफनी का वैज्ञानिक नाम क्रेटेगस है। यह पेड़ दिखने में काफी सुंदर होता है, किंतु इसका उपयोग औषधीय कार्यों में भी किया जाता है। यह एक औषधीय पौधा है, जिसकी तासीर गर्म होती है। ठंड में यह पौधा काफी उपयोगी माना जाता है।
इसके अलावा भी यहाँ बहुत से अलग-अलग किस्म के पेड़ पाए जाते हैं, जिनमें गुलर, फाग, बेर, नीम, जिनी, पलाश, ठठेरा आदि शामिल हैं।
थार रेगिस्तान के प्रमुख वन्य जीव
काला हिरण
भारतीय एंटेलोप के नाम से मशहूर काला हिरण भारतीय उपमहाद्वीप में पाई जाने वाली एंटीलोप की एक जीववैज्ञानिक प्रजाति है। कृष्ण मृग के नाम से मशहूर यह जीव मुख्यतः भारत और नेपाल में पाया जाता है। काले हिरण का वैज्ञानिक नाम एंटीलोप केरवीकाप्रा है। यह जीववैज्ञानिक दृष्टिकोण के साथ-साथ धार्मिक दृष्टिकोण से भी काफी महत्वपूर्ण है। राजस्थान के बिश्नोई समुदाय की आस्था इस जीव से जुड़ी हुई है। करणी माता को इस जीव का संरक्षक माना जाता है। इसके अलावा काले हिरण को चंद्रमा का वाहन भी माना जाता है।
ग्रेट इंडियन बस्टर्ड
राजस्थान के डेजर्ट नेशनल पार्क में पाए जाने वाले ग्रेट इंडियन बस्टर्ड राजस्थान में पाई जाने वाली प्रमुख जीवों में से एक है। ग्रेट इंडियन बस्टर्ड मुख्यतः शुष्क या अर्ध-शुष्क घास के मैदाने में रहना पसंद करते हैं। गंभीर रूप से संकटग्रस्त जीवों की श्रेणी में आने वाले ग्रेट इंडियन बस्टर्ड का वैज्ञानिक नाम अर्डियोटिस निग्रिसेप्स है। यह भारतीय वन्य संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत संरक्षित है। यह जीव अपने क्षेत्र के सबसे बड़े जीवों में से एक है। पूर्व समय में यह जीव भारत और पाकिस्तान में व्यापक रूप से पाया जाता था, किंतु शिकार के कारण इस जीव की संख्या बहुत अधिक मात्रा में घटी है।
रेगिस्तानी करैत
रेगिस्तानी करैत सांप की एक प्रजाति है, जो थार रेगिस्तान में बहुत अधिक संख्या में पाया जाता है और अपनी जहरीली प्रवृत्ति के लिए मशहूर है। यह सांप मुख्यतः रात में सक्रिय होता है और छोटे जीव-जंतुओं को अपना शिकार बनाता है। इस जीव की एक विशेषता यह है कि यह रेत के रंग का होता है। अपनी त्वचा के रंग और गति के कारण यह रेत में छिपाने में माहिर होता है, जिसके कारण इसे देख पाना काफी मुश्किल हो जाता है।
इसके अतिरिक्त भी राजस्थान में बहुत से जीव पाए जाते हैं, जिनमें चिंकारा, डेजर्ट फॉक्स, गिद्ध, बाज, मोर, सैंड बोआ सांप और रेगिस्तान छिपकली शामिल हैं। रेगिस्तान का जहाज कहा जाने वाला ऊंट राजस्थान का सबसे प्रमुख जीव है।