Nagaur Unique Temple: भारत में अनेक धार्मिक स्थान बने हुए हैं, जहां विभिन्न प्रकार के देवी - देवता बैठे होते हैं। लेकिन हम एक ऐसे मंदिर के बारे में बात करने जा रहे हैं, जहां बैल को देवता के रूप में पूजा जाता है। यह मंदिर स्थित है राजस्थान के नागौर जिला के नावां क्षेत्र में। इस मंदिर में महाशिवरात्रि के दिन मेला भी लगता है जिसमें दूर - दूर से लोग आते हैं।
कहां स्थित है ये मंदिर
बता दें नागौर जिला अपने पशुपालन परंपरा के लिए प्रसिध्द है। यहां के लोग पशुओं से भावनात्मक जुड़ाव होने के कारण मंदिर भी बनवाते हैं। नागौर जिले के नावां क्षेत्र से सटे राजपुरा-देवली मार्ग पर मंदिर स्थित है। जहां एक बैल की प्रतिमा को रखा गया है। जिसकी पूजा करने गाँव भर के लोग आते हैं।
बीमार पशुओं को ठीक करता है ये मंदिर
इस मंदिर की एक ख़ास परंपरा है कि यहां महाशिवरात्रि के दिन भव्य मेले का आयोजन किया जाता है। जिसमें किसान नारियल का फल लेकर जाते हैं। ग्रामीणों का मानना है कि यदि यह नारियल बीमार पशुओं को खिलाया जाता है तो वो स्वस्थ हो जाते हैं। यही कारण है कि अब यहां दूर - दूर से लोग पहुंचते हैं।
नागौर में आयोजित होते हैं पशुमेले
राजस्थान का नागौर अपने पशुप्रेम के लिए जाना जाता है। यहां का समृध्द इतिहास पशु मेलों और पशुपालन के लिए प्रसिध्द है। यहां प्रत्येक वर्ष रामदेव पशु मेला और तेजाजी पशु मेला आयोजित किए जाते हैं। जहां बैलों का क्रय - विक्रय किया जाता है। इन मेले में ज़्यादातर नागौरी नस्ल के बैल मिलते हैं जो कि अपनी ताकत, तेज रफ्तार और सुंदरता के लिए विश्वभर में प्रसिध्द हैं। इन पशु मेलों में बैल के साथ - साथ ऊंट, घोड़े और भेड़ों का भी व्यापार होता है। यही नही मेले में मनोरंजन के लिए रस्साकशी, ऊंट नृत्य और घोड़ा नृत्य जैसी प्रतियोगिताएं भी होती हैं, जिसे देखने दूर -दूर से लोग आते हैं।
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